कोरोना काल के बीच हरिद्वार महाकुंभ शुरू हो गया है। हालांकि महाकुंभ के पहले दिन श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। जिस वजह से महाकुंभ की शुरूआत फीकी लगी। दरअसल संख्या कम होने की वजह सरकार की वो गाइडलाइन मानी जा रही है जिसमें 72 घंटे पहले की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट को अनिवार्य किया गया है।
3 दिन हैं शाही स्नान
बता दें 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या, 13 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का स्नान है, जबकि 14 अप्रैल को मेष संक्रांति और बैसाखी का शाही स्नान है। इसलिए इन तीनों दिनों में काफी भीड़ उमड़ने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं पिछली बार महाकुंभ में बैसाखी के स्थान पर 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान करने हरिद्वार आए थे।
कोविड गाइडलाइन को अनदेखा कर रहे लोग
उत्तराखंड सरकार ने महाकुंभ का आयोजन बड़े पैमाने पर किया है, लेकिन कोरोना के बीच लोगों का लापरवाह रवैया प्रशासन के सामने कड़ी चुनौती बन रहा है। सरकार की ओर से रेलवे स्टेशन और अन्य की जगहों पर रेपिड टेस्टिंग के इतंजाम किए गए हैं लेकिन कई बार ऐसे मामले सामने आए जब लोग स्टेशन से उतरने के बाद सुरक्षाकर्मियों की बातों को अनदेखा कर कोरोना जांच में शामिल नहीं हो रहे।
उत्तराखंड हाईकोर्ट सख्त
उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं को बिना रोक टोक आने दिया जाए। जिसके बाद वो खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए। वहीं सीएम तीरथ रावत के इस फैसले को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच की जाए और उसके बाद ही उनको आयोजन में शामिल होने की अनुमति दी जाए।