लखनऊ: महलिबाद आम की खेती लिए जाना जाता है। पूरे विश्व में जहां भी आम खाया जाता है वहां महिलाबादी आम का नाम सबसे पहले आता है। ऐसे ही नहीं आम को फलों का राजा कहा जाता है। और आमों में दशहरी आम को खास मिठास के लिए जाना जाता है।
इस बार दशहरी आम में मिठास की कमीं देखी जा रही है।
बेमौसम बारिश और तरह-तरह के कैमिकल्स का उपयोग अच्छे आम की पैदावार के लिए किया जा रहा है। अभी हाल ही में एक परीक्षण में यह बात सामने आई है। रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से आम की पैदवार पर भी असर पड़ा है। और आमों स्वाद को भी बे-स्वाद कर दिया है।
सल्फर-कैल्शिमय की कमीं
क्षेत्रीय भूमि प्रयोगशाला ने काकोरी और महिलाबाद ब्लॉक में मिट्टी का परीक्षण कराया। महिलाबाद के परीक्षण में बोरान-सल्फर-कैल्शिमय की मात्रा कम पाई गई। सल्फर कम होने पर पेड़ की पत्तियों और शाखाएं में पीला रंग देखने को मिलता है। आम की खेती करने वालों के लिए विशेषज्ञों की सलाह है कि कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग कम करना चाहिए।
ज्यादा पैदावार के लिए इस्तेमाल की जा रही उर्वक खाद
आमों खास जानकार कमीमुल्लाह ने कहा आज लोग फसल की ज्यादा पैदावार के लिए पेड़ों की सेहत खराब कर रहे है। आज किसानों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। प्राकृतिक रूप से महलिबाद और काकोरी में पेड़ों में कैल्शियम और सल्फर की कमीं हो रही है। किसानों को जैविक खाद्य़ का प्रयोग कम करना होगा। नहीं तो आगे पोषक तत्वों की कमी और बढ़ेगी।