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जाने आखिर क्यों अब अपनी मर्जी से सीबीआई हिरासत में रहना चहाते हैं पी चिदंबरम

p chidambaram 1 जाने आखिर क्यों अब अपनी मर्जी से सीबीआई हिरासत में रहना चहाते हैं पी चिदंबरम

नई दिल्ली। आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम इन दिनों सीबीआई की हिरासत में हैं। चिदंबरम की गिरफ्तारी को लेकर अब ये खबरें तेज हो गई हैं कि क्या कानूनी दांव और सीबीआई के पेंच में फंस जाएंगे चिदंबरम? हालात तो ऐसे ही बन रहे हैं कि चिदंबरम शुक्रवार शाम को ही तिहाड़ पहुंच जाएं। वहीं घबराए हुए चिदंबरम के दिग्गज वकीलों ने तो चिदंबरम को सीबीआई हिरासत में रखने की पेशकश तक सुप्रीम कोर्ट में कर डाली, लेकिन फिर भी हासिल कुछ नहीं हुआ।

बता दें कि बड़े वकीलों की फौज ने चिदंबरम को सीबीआई और ईडी के मुकदमों और जेल जाने के जंजाल से निकलवाने के लिए हर संभव कोशिश की। वहीं देश की बड़ी जांच एजेंसियां भी किसी मामले में कम नजर नहीं आ रही हैं। चिदंबरम के वकीलों के हर दांव को दूसरे कानूनी नुक्तों से काटा जा रहा है। यानी सियासी शतरंज पर कानूनी मोहरों से शह मात का खेल जारी है।

वहीं सुप्रीम कोर्ट में चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल चिदंबरम को स्पेशल कोर्ट की हिरासत में रखने का पुरजोर विरोध कर रहे थे। अब वहीं सुप्रीम कोर्ट के आगे गिड़गिड़ाते दिखे कि सोमवार तक उनको सीबीआई की हिरासत में ही रहने दिया जाए और वे इसके लिए खुशी खुशी तैयार हैं। स्पेशल कोर्ट में जब सीबीआई ने और पांच दिन की हिरासत मांगी तो सिब्बल और सिंघवी तो मानों बिफर ही पड़े थे। उन्होंने कहा, ‘माइ लॉर्ड कोई जरूरत नहीं है अब हिरासत की। हमारे मुवक्किल से एक ही एक सवाल बार बार पूछे जा रहे हैं। उनको सिर्फ नीचा दिखाने की गरज से सीबीआई हिरासत में लेना चाहती है।

लेकिन सवाल ये है कि तीन दिन बाद ही ऐसा क्या हो गया कि सिब्बल जोर दे रहे हैं कि हुजूर सीबीआई की हिरासत में ही चार दिन और रहने दिया जाए। हम इसके लिए भी राजी हैं। हालांकि इस अप्रत्याशित दलील और अपील पर सीबीआई और ईडी के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को खुश होना चाहिए था। लेकिन वो तो फौरन इसके खिलाफ तन गए।

बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले चिदंबरम की सीबीआई हिरासत अवधि आगे बढ़ाने के जबरदस्त हिमायती मेहता फौरन सिब्बल और सिंघवी पर राशन पानी लेकर टूट पड़े थे। अब उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट इसमें क्यों दखल दे। ये तो स्पेशल कोर्ट को तय करना चाहिए कि किसे कब तक हिरासत में रखना है और कब न्यायिक हिरासत में भेजना है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस बारे में कुछ ना करे।

सूत्रों का कहना है शुक्रवार को सीबीआई चिदंबरम की हिरासत और बढ़ाने पर जोर नहीं डालेगी। जिससे नतीजा ये होगा कि चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेजना होगा। 5 सितंबर को सीबीआई सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तय करेगी कि इंद्राणी मुखर्जी और अन्य `गवाहों’ से चिदंबरम का आमना-सामना कराने के नाम पर फिर हिरासत की मांग की जाये या नहीं। इसी दौरान ईडी के दांव भी सुप्रीम कोर्ट के रूख पर निर्भर करेंगे। क्योंकि पांच तारीख तक तो सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को रोक रखा है।

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