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जानिए कौन है मौलाना फजलुर रहमान जिनसे डरी पाकिस्तान सरकार

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नई दिल्ली। अपने हजारों समर्थकों के साथ कराची से आजादी मार्च लेकर इस्‍लामाबाद पहुंचे उलमा-ए-इस्लाम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान की ओर से पीएम इमरान खान के इस्‍तीफे के दो दिन के अ‍ल्‍ट‍िमेटम की अवधि रविवार रात को समाप्‍त हो गई। मौलाना ने कल एलान किया कि इस्‍लामाबाद बंद करने के बाद अब पूरे देश में बंदी की जाएगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि आजादी मार्च का मकसद जबतक हासिल नहीं हो जाता तब तक उनका और उनके समर्थकों को संघर्ष जारी रहेगा।

दूसरी ओर विपक्षी दलों के आजादी मार्च से डरे पाकिस्तानी पीएम इमरान खान का हौसला अब पस्त होने लगा है। यही वजह है कि उनकी सरकार अब मार्च की अगुआई करने वाले उलमा-ए-इस्लाम प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान के खिलाफ केस करने की तैयारी में है। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान सरकार उन पर विद्रोह के आरोप में मामला दायर करेगी।

पाकिस्‍तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्री परवेज खट्टक ने शनिवार को कहा कि सरकार ने उलमा-ए-इस्लाम संगठन के प्रमुख मौलाना फजलुर पर विद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री इमरान खान और सरकारी संस्थानों के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम किया है। इन्‍हीं आरोपों में मौलाना पर मुकदमा दायर किया जाएगा।

अपने हजारों समर्थकों के साथ कराची से आजादी मार्च लेकर पहुंचे फजलुर पीएम इमरान के इस्तीफे की मांग को लेकर राजधानी इस्लामाबाद में धरने पर बैठे हैं। उनके इस आंदोलन को पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) समेत सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दे रखा है। सरकार विरोधी आजादी मार्च की अगुआई कर रहे मौलाना ने शुक्रवार को रैली में इमरान को इस्तीफा देने के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दिया था। उलमा-ए-इस्लाम संगठन के प्रमुख मौलाना ने यह भी कहा था कि जनता प्रधानमंत्री को उनके आवास में घुसकर बंदी बना सकती है। उन्हें इस्तीफा देने के लिए विवश कर सकती है। इस बयान पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘इस तरह का एलान लोगों को भड़काने और विद्रोह करने वाला कृत्य है। सरकार आजादी मार्च से डरी नहीं है, लेकिन सरकारी संस्थानों की छवि खराब करने को लेकर विपक्षी नेताओं के भाषण दुर्भाग्यपूर्ण हैं।’

मौलाना फजलुर ने यह संकेत दिया है कि इमरान सरकार के खिलाफ दबाव बनाए रखने के लिए आगामी दो दिनों में कोई कड़ा फैसला लिया जा सकता है। उन्होंने धरनास्थल पर शनिवार रात अपने समर्थकों से कहा, ‘हमारा इतिहास आंदोलनों से भरा पड़ा है। हमें एक-दो दिन में कोई निर्णय लेना होगा।’ फजलुर के नेतृत्व में गत 27 अक्टूबर को कराची से चला आजादी मार्च शुक्रवार तड़के इस्लामाबाद पहुंचा था। तब से उनके समर्थक और विपक्षी दलों के कार्यकर्ता इस्लामाबाद के पेशावर मोड़ इलाके में डेरा डाल रखे हैं।

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