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तूफान के साथ-साथ तेजी से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा उल्का पिंड, इंसान कोरोना, तूफान के साथ कैसे बचेगा उल्का के कहर से?

ulka 1 3 तूफान के साथ-साथ तेजी से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा उल्का पिंड, इंसान कोरोना, तूफान के साथ कैसे बचेगा उल्का के कहर से?

जब को से धरती पर कोरोना नाम की बीमारी फैली है तब से पृथ्वी पर मानों मौत नये-नये रूपों में मंडरा रही है।

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अभी लोग कोरोना से निबटने के लिए घरों में छुपे बैठे हैं ऐसे में देश में एल्फान तूफान तेजी से बढ़ रहा है।

इस बीच एक और ऐसी खबर आ गई जिसने लोगों के अंदर एक नया डर पैदा कर दिया है और वो है पृथ्वी की तरफ तेजी से बढ़ता उल्का पिंड, जी हां आप सही सुन रहे हैं।

एक बार फिर से पृथ्वी की तरफ उल्का बड़ी ही तेजी से बढ़ा आ रहा है। जिसने धरती पर रह रहे जीवों के लिए नये खतरे की घंटी बजा दी है।

आपको बता दें, नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज ने बताया है कि एक 1.5 किलोमीटर बड़ा उका पिंड तेजी से धरती की तरफ आ रहा है।

ये उल्का पिंड 21 मई को धरती की कक्षा में प्रवेश करेगा। ये उल्का पिंड 16 जनवरी 1997 को पहली बार नज़र में आया था और तभी से नासा ने इसे अलर्ट पर डाला हुआ है।

ऐसे 2000 से ज्यादा उल्का पिंड है जिन्हें नासा की संस्थाएं ट्रेक कर रहीं हैं। हालांकि इस उल्का पिंड से किसी भी तरह के नुकसान का कोई अनुमान नहीं है।

लेकिन फिर भी वैज्ञानिक इसके खतरे से पूरी तरह से सतर्क हैं।नासा के नेशनल नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्ट्रेटजी विभाग की माने तो 1 किलोमीटर से बड़े किसी भी उल्का पिंड के धरती की कक्षा में दाखिल होने की स्थिति में चेतावनी जारी की जाती है।

अगर इतना बड़ा कोई भी उल्का पिंड धरती से टकरा गया तो विनाश हो सकता है। इनके टकराने से भूकंप, सुनामी और कई तरह की आपदाएं जन्म ले सकती हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि, डायनोसॉर के धरती से ख़त्म होने के पीछे एक 10 किलोमीटर बड़ा एक उल्का पिंड था। जिसने डायनासोर का पृथ्वी से खात्मा कर दिया था।

नासा के मुताबिक इस उल्का पिंड का आकार 670 मीटर से 1.5 किलोमीटर के बीच है।
इसकी लंबाई 4921 फीट जबकि चौड़ाई 2198फीट मापी गयी है. ये अपोलो क्लास का उल्का पिंड है जिसका नाम नासा ने ‘नियो; रखा है।

ये गुरूवार 21 मई को शाम 9:45 बजे धरती की कक्षा में प्रवेश करने वाला है। जिससे फिलहाल तो नुकसान होता हुआ नहीं दिख रहा है।

https://www.bharatkhabar.com/japan-preparing-itself-for-war-with-china/
लेकिन इसका मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि, धरती इससे सुरक्षित है।

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