नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए जाने वाले जीएसटी को दिल्ली में लागू करने से पहले केजरीवाल सरकार बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों से राय लेगी। इन प्रतिष्ठानों की राय के अनुसार ही अपनी ओर से जीएसटी पर मसौदा तैयार करेगी जिसे वह जीएसटी काउंसिल की बैठक में रखेगी।
दरअसल अपनी कुछ मांगों को लेकर दिल्ली के कारोबारी संगठन लगातार सरकार से बैठकें कर रहे हैं। इसी सिलसिले में काउंसिल की बैठक अगले माह भी है। वजह यह है कि जीएसटी के संभावित नियमों को लेकर दिल्ली के कारोबारी संगठन इसे लागू किए जाने को लेकर काफी चिंतित हैं। इन कारोबारी संगठनों की मांग है कि जो व्यापारी सालाना पांच करोड़ रुपये तक का कारोबार करता है, उसका सारा टैक्स सिस्टम दिल्ली सरकार के अधीन ही कर दिया जाए। जबकि जीएसटी काउंसिल ने यह सीमा डेढ़ करोड़ रुपये सालाना रखी है, लेकिन इसे अभी फाइनल नहीं किया गया है। इसके अलावा दिल्ली के कारोबारी संगठन कुछ वस्तुओं पर भी टैक्स कम करने की मांग लगातार कर रहे हैं।
इस मसले पर दिल्ली की कारोबारी संस्था चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ने कई बार उपमुख्यमंत्री व वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा है और कई मांगें पेश कर उसे जीएसटी काउंसिल की बैठक में रखने का आग्रह किया है। सूत्र बताते हैं कि मनीष सिसोदिया ने उनकी मांगों को उचित बताया है और कहा है कि उसे काउंसिल की बैठकों में रखे जाने से पूर्व वह बड़े कारोबारी संगठनों जैसे फिक्की, सीआईआई, पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉम र्स आदि से भी राय लेगी।
मनीष सिसोदिया के अनुसार ऐसा करने से काउंसिल की बैठक में दिल्ली सरकार का पक्ष मजबूती से रखा जा सकेगा। इस बाबत इन संगठनों को पत्र लिखा जा रहा है। अगर आवश्यक हुआ तो इनके पदाधिकारियों को बुलाकर भी उनसे राय ली जाएगी। वहीं इस मसले पर सीटीआई के पदाधिकारी बृजेश गोयल का कहना है, सरकार का यह कदम व्यापारियों के हित में है। हम अपना पक्ष तो रख चुके हैं। इन बड़े संगठनों का पक्ष भी मिलने के बाद हमारी मांगों पर उचित निर्णय लिया जा सकेगा।