featured यूपी

जननेता के अलावा कवि और अच्छे बांसुरी वादक भी थे कल्याण सिंह

बांसुरी वादक भी थे कल्याण सिंह

Brij Nandan

लखनऊ। कल्याण सिंह एक जननेता के तौर पर जाने जाते हैं लेकिन बहुम कम लोगों को यह मालुम है कि वह कवि,लेखक और अच्छे बांसुरी वादक भी थे। उन्होंने कई कविताएं लिखी हैं। राममंदिर आन्दोलन जब चरम पर था तब कल्याण सिंह की सभाओं में उन्हें सुनने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था। संघ के वरिष्ठ प्रचारक जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि हम लोग जब उनको कार्यक्रम में ले जाते थे तो अगर किसी को पता चल जाता था कि कल्याण सिंह इधर से जायेंगे तो लोग रास्ता रोककर खड़े हो जाते थे। कल्याण सिंह को आते देखकर लोग रास्ते में लेट जाते थे। कल्याण सिंह रूकते थे और पांच मिनट बोलकर आगे बढ़ जाते थे।
कल्याण सिंह सफल मुख्यमंत्री के साथ-साथ कवि भी थे। उनके कवित्त की चर्चा नहीं की गयी। जब वे केन्द्रीय कारागार वाराणसी में बंद थे तो 18.06.76 अपने पुत्र राजबीर को उन्होंने एक गीत लिखकर पत्र इस आशय के साथ भेजा कि उसे वह अपने रजिस्टर में उतार लें।

इस गीत में उनकी मनोव्यथा उजागर होती है।
मैं जन्मा आजाद, मुझे बंधन स्वीकार नहीं
टूक टूक तन हो लेकिन झुकना स्वीकार नहीं।
सोच समझ कर राह चुनी है मेरे पांवों ने
चलना सीखा सुख में, दुख में घोर अभावों में
बढ़ते पांवों की गीत, मन की गीत से भी ज्यादा।
डिगा न पायी कभी विषमता, कोई भी बाधा।
चरैवेति का गाता हूं, रूकना स्वीकार नहीं।
टूक टूक तन हो लेकिन झुकना स्वीकार नहीं।
प्रीति जल पिंडला हिमगिरि,देता जीवन जगती को
कण कण गलता, अमृत देता, प्यासी धरती को

Related posts

ट्रंप ने गूगल पर उनके और उनकी पार्टी के खिलाफ भेदभाव करने का लगाया आरोप

rituraj

हनी सिंह के नए गाने ने दुनियाभर में मचाई धूम, बनाया जबरदस्त रिकॉर्ड

mohini kushwaha

हिन्दू देवताओं पर विवादित बयान देने वाले समाजवादी पार्टी के नेता वीरपाल सिंह यादव के खिलाफ मामला दर्ज

rituraj