नई दिल्ली। आज के समय में कोई देश ऐसा नहीं है जिसके अपने पड़ोसी देश के साथ अच्छे संबंध हो। जिसके चलते आए दिन पड़ोसी देशों में तनातनी का माहौल गर्माया रहता है। इसी तनातनी के कारण सभी देश इस समय अपने आप को मजबूत करने में लगे हुए हैं। जिसके चलते आज इजरायल को उसका सबसे आधुनिक युद्धपोत मिल गया है। जरायल ने यह युद्धपोत जर्मनी से मंगवाया है। इस युद्धपोत को जर्मनी में शील्ड कहते हैं। इस समय इजरायल और ईरान के बीच तनाव का माहौल है। ईरान के टॉप न्यूक्लियर साइंटिस्ट के कत्ल के बाद ईरान और इजरायल में काफी गर्मा-गर्मी चल रही है। भूमध्यसागर के तेल के कुओं को लेकर भी दोनों देशों के बीच काफी खींचतान दिखाई दे रही है। इजरायल का यह शील्ड युद्धपोत ‘द सार-6 कॉर्वेट’ श्रेणी का है। इसे इजरायल के हाइफा पोर्ट पर तैनात किया गया है।
शील्ड युद्धपोत ‘द सार-6 कॉर्वेट’ श्रेणी का-
बता दें कि इजरायल का यह शील्ड युद्धपोत ‘द सार-6 कॉर्वेट’ श्रेणी का है। अगले साल जर्मनी से ऐसे तीन और युद्धपोत इजरायल के लिए आएंगे। इसके बाद 15 युद्धपोत फिर आएंगे। मिसाइल हमला करने में सक्षम इन युद्धपोतों को इजरायल लाल सागर और खाड़ी में तैनात करेगा। इजरायल अपने समुद्री तेल कुओं को भी सुरक्षित रखना चाहता है। इसलिए वह इन युद्धपोतों को उनकी निगरानी के लिए भी तैनात करेगा। ताकि समुद्री सीमाओं में उसकी संपत्तियों की सुरक्षा हो सके। इजरायल के ये तेल कुएं लेबनान की समुद्री सीमा के पास है, इसलिए इजरायल कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। इजरायल के राष्ट्रपति रेउवेन रिवलिन ने इस युद्धपोत के स्वागत समारोह में कहा कि हम इन युद्धपोतों के जरिए अपने तेल के कुओं और समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करेंगे। हमे एक सुरक्षा देने वाले कवच की जरूरत है, जो ये युद्धपोत पूरा करेंगे। इजरायली नौसेना को लगता है कि तेल के कुओं को लेबनान और ईरान से समर्थित हिजबुल्ला गुरिल्लाओं से खतरा है। क्योंकि ईरान के परमाणु साइंटिस्ट मोहसेन फाखरीजादेह की मौत के बाद लेबनान और ईरान ऐसे कदम उठा सकते हैं। ईरान अपने वैज्ञानिक की मौत का आरोप इजरायल पर लगा रहा है।
इन देशों से हमें खतरा- ईरान
इसके साथ ही द सार-6 कॉर्वेट में क्रूज मिसाइल के हमलों से बचने और उन्हें नष्ट करने के अत्याधुनिक सिस्टम लगे हैं। यहां तक कि वह कम ऊंचाई से किए गए हवाई हमलों को भी भांप कर उन्हें रोकने में सक्षम है। यह एक तरीके का आयरन डोम सिस्टम है, जो किसी भी तरह के हवाई हमले को रोक सकता है। इजरायल के एक सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि ईरान इसे प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहा है। ईरान को ऐसा लगता है कि वो ऐसा कोई हमला कर सकता है जिसमें कम लोगों को नुकसान हो। हमें हिजबुल्ला गुरिल्लाओं, ईरान और लेबनान तीनों से खतरा है। पता नहीं कब कौन किधर से हमला कर दे। इजरायल के तेल के कुओं को लेबनान पहले भी टारगेट बना चुका है। परमाणु वैज्ञानिक की मौत पर ईरान की प्रतिक्रिया क्या होगी, इसका इजरायल अंदाजा लगा रहा है लेकिन वह अपनी सुरक्षा को चाक-चौबंद कर रहा है। इजरायल ने अभी तक वैज्ञानिक की मौत पर अपनी तरफ से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी है।