उत्तराखंड सिर्फ यूपी से अलग हुए एक खंड नहीं है बल्कि उत्तराखंड की पहचान सदियों से देवभूमि के नाम से की जाती है।
उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवती रचते बसते हैं। इसलिए हर साल लाखों की संख्या में में यहां श्र्धालु पहुंचते हैं और उत्तराखंड के रहस्यों को जानने की कोशिश करते हैं।
हिन्दु धर्म के इतिहास को उठाकर अगर देखा जाए तो उत्तराखंड में न सिर्फ देवों के देव महादेव बसते हैं । बल्कि,सृष्टी के रचियता भगवान विष्णु का वास स्थल भी है।
इतना ही नहीं भगवान ब्रह्मा से जुड़ी हुए कई जानकारियां पुराणों में मिलती हैं। उत्तराखंड में स्थित चार धाम दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। जिनके बारे में देश ही नहीं के घर धर्म के लोग जानते हैं।
इसी तरह देवभूमि उत्तराखंड में पांच प्रयाग में से एक है देवप्रयाग। यह स्थान उत्तराखंड राज्य के पंच प्रयागों में से एक माना जाता है ।
इस स्थान के बारे में यह कहा जाता है कि जब राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतारने के लिए मनाया , तो 33 करोड़ देवी देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से उतरे और देवी-देवता ने अपना आवास “देवप्रयाग” में बनाया जो की गंगा की जन्मभूमि है ।
इस स्थान पर भागीरथी और अलकनंदा नदी का संगम होता है । इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा के नाम से भी जाना जाता है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मलित धार “गंगा”कहलाती है।
अलकनंदा बहुत कम आवाज करती है। वहीं भागीरथी बहुत ज्यादा शोर करते हुए बहती है। इन दोनों के बारे में कहा जाता है कि अलकनंदा बहू है और भागीरथी सास।
देवप्रयाग के संगम के किनारे पर भगवान श्री राम के कमल जैसे पद-चिन्ह है ।देवप्रयाग की मान्यता यह भी है कि भगवान श्री राम ने अपने माता पिता का तर्पण इसी स्थान में किया था ।
इसलिए देवप्रयाग में लोग अपने पूर्वजो का धार्मिक संस्कार करना , मंगलकारी मानते है ।
लेकिन अब अलकनंदा और भागीरथी के संगम को लेकर एक ऐसा वीडियों सामने आया है। जिसने सबको चौंका के रख दिया है।
संगम के बाद भागीरथी और अलकनंदा गंगा का रूप लेकर हरिद्वार तक पहुंचती हैं। और एक जैसी दिखाई देती हैं।
लेकिन कोरोना काल में जो तस्वीरें सामने आ रहीं है। उसे देखकर आप भी कहेंगे आखिर संगम के बाद एक होने वाली अलकनंदा और भागीरथी अलग-अलग क्यों बह रहीं हैं।
आप भी इन तस्वीरों को देखें जहां पर दोनों नदियां अलग-अलग रंगों के साथ बहती हुई देख रही हैं।
देवप्रयाग में संगम के बाद आप देखेंगे एक तरफ हल्के हरे रंग की भागरीथी जो गंगोत्री से आती है तो दूसरी ओर अलकनंदा हल्का श्याम रूप लिये होती है जो बद्रीनाथ से आती है। भगवान बद्रीनाथ का रंग भी श्याम और नदी का भी।
दोनों नदियां देवप्रयाग पर मिल जाती है और आगे चलकर गंगा कहलाती है। ठीक ऐसा ही नजारा अब हरिद्वार में देखने को मिल रहा हैं जिसको लेकर लोगों माथे पर शिकन हैं । क्योंकि यहां दोनों नदियां अलग-अलग बहती हुईं दिख रहीं है।
#Haridwar अभी अभी एक बड़ा चौका देने वाला वीडियो और तस्वीरें सामने आ रही हैं।जहाँ अलकनंदा व भागीरथी हरिद्वार में अलग अलग बहती नजर आरही हैं।? pic.twitter.com/aXwbvvHKTz
— Bharat Khabar (@bharatkhabarweb) May 17, 2020
इन तस्वीरों में इनके बदले हुए रंग रूप को साफ तौर पर देखा जा सकता है। सोचने की बात ये है कि पौराणिक काल से कलयुग काल तक संगम होने के बाद एक साथ बहने वालीं ये दो नदियां अब अलग-अलग बहती हुईं क्यों दिख रही हैं।
कहीं ये भगवान की तरफ से किसी आपदा का इशारा तो नहीं है। क्योंकि आज तक ऐसा कभी नहीं देखा गया जब अलकनंदा और भागीरथी नदी हरिद्वार आकर अलग-अलग दिखने लगीं।
क्योंकि इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना नाम की महामारी से गुजर रहा है। जिसका फिलहाल अभी अंत होता तो नहीं दिख रहा है।
जिसको देखते हुए काफी लोगों को लग रहा है कहीं ये दुनिया का अंत तो नहीं है। ऐसे में मुक्ति के द्वार हरिद्वार से दोनों नदियों के अलग-अलग बहने की हकीकत लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर रही है।
क्योंकि देवभूमि उत्तराखंड सदियों से भगवान के जीवन से जुड़े रहस्यों से भरी हुई है। ऐसे में अचानक से इन दो नदियों का अलग-अलग रूप अनहोनी की तरफ इशारा कर रहा है।
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अगर आपके पास हरिद्वार में घट रही इस घटना से जुड़ी हुई कोई एतिहासिक जानकरी है तो उसे कमेंट बॉक्स में जरूर शेयर करें। क्योंकि इन दो नदियों के ये अलग-अलग रूप देश ही नहीं दुनिया के लिए कई सवाल खड़े किए हुए है।