नई दिल्ली। इस्लामिक धर्म प्रचारक और इस्लामिक रिसर्च फांउडेशन के संस्थापक जाकिर नाइक के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। खबराें के मुताबिक मुंबई पुलिस और एनआईए की टीम ने आईआरएफ के करीब 10 जगहों पर छापेमारी की और एनजीओ को 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। ताजा खबरों के मुताबिक एनजीओ के सीईओ समेत स्टाफ ने भी इस्तीफा दे दिया है।
गैरकानूनी गतिरोध निरोधक अधिनियम के चलते हाल ही में जाकिर नाइक के एनजीओ को बैन कर दिया गया था। एनजीओ को बैन करने के साथ ही संस्था के डेटा और प्रमाणपत्रों के साथ स्टॉफ के फोन को भी जब्त कर लिया गया था। सूत्रों से प्राप्त हो रही जानकारियों के मुताबिक एनआईए संस्था से जुड़े लोगों से पूछताछ कर रही है और संस्था में लोगों की भूमिकाओं के बारे में जानने का प्रयास भी कर रही है। बताया जा रहा है कि जब्त किए गए फोनों से मौजूदा और डिलीट किए गए डाटा को भी रिकवर करके उनके फॉरेंसिंक जांच के लिए भेजा जाएगा, जिससे संस्था की गतिविधियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा पता लगाया जा सके।
नाइक ने बताया था सांप्रदायिक साजिश– एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेंशन के बैन होने को लेकर जाकिर नाइक ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि उनके संस्था पर बैन सांप्रदायिक साजिश के चलते हुआ है। एक जारी किए गए पत्र के जरिए नाइक ने कहा था कि उनसे किसी भी एजेंसी ने कोई पूछताछ नहीं की और संस्था को बैन कर दिया। पत्र में कहा गया है कि उनके पक्ष को सुना नहीं गया है। सरकार पर आरोप लगाते हुए नाइक ने कहा है कि सरकार जनता का ध्यान अन्य बड़े मुद्दों से भटकाने के लिए उनपर बैन लगा रही है। साथ ही यह भी कहा गया है कि नोटबंदी से जब पूरा देश परेशान है उस समय सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रही है।
नाइक पर आईएस के साथ संबंधों के सबूत- एक खुलासे के मुताबिक जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आईएस के संदिग्ध आतंकी अनस खान को स्कॉलरशिप के तौर पर 80 हजार रुपए दिए गए। इस बात का खुलासा एनआईए ने किया है। इस खुलासे के बाद सरकार अब नाइक के खिलाफ एंटी टेरर लॉज के आधार पर कार्यवाही किया जा सकता है, इससे पहले हाल के दिनों में संस्था को सरकार ने पांच सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।