नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार में देश के वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। मीडिया केस में कार्ति की गिरफ्तारी बुधवार को चेन्नई के एयरपोर्ट से की गई थी। कोर्ट में पेश करते हुए सीबीआई ने कोर्ट से कार्ति की रिमांड बढ़ाने की मांग की। सीबीआई ने कुछ गोपनीय दस्तावेज कोर्ट में पेश करते हुए कार्ति कि रिमांड को 14 दिन बढ़ाए जाने की मांग की। वहीं इस दौरान दोनों पक्षों के बीच में तीखी नोक-झोंक भी हुई, जिसके बाद कोर्ट ने कार्ति को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। सीबीआई के दस्तावेजों पर कार्ति के वकील मनु सिंघवी ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को जेल भेजने की कोई वजह नहीं हैं।
सिंघवी की दलील पर ईडी के वकील ने कहा कि कार्ति चिदंबरम जांच में बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रहे हैं। वकील ने दलील दी कि कार्ति को रिहा किए जाने से जांच की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा। इसके साथ ही सीबीआई जज के सामने कुछ गोपनीय दस्तावेज भी एजेंसी ने रखे। सीबीआई ने राजनीतिक दबाव की बात नकारते हुए कहा कि कार्ति के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। ईडी ने कार्ति की रिहाई का विरोध करते हुए कहा कि हमें उनके सीए के साथ पूछताछ करनी है क्योंकि कार्ति का खुद कहना है कि सारी जानकारियां उनके सीए के पास है इसलिए अगर सीए को छोड़ा गया तो वो सारे सबूत मिटा देगा। कार्ति की पेशी के दौरान कोर्ट में उनके पिता पी. चिदंबरम और मां नलिनी भी मौजूद रहे।
दरअसल साल 2007 में चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रुपये की रकम दिलाने के लिए विदेशी निवेश से जुड़े फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की मंजूरी दिलाने और इस कंपनी को जांच से बचाने के लिए कार्ति ने 10 लाख रुपये लिए थे। उस दौरान कंपनी के मालिक इंद्राणी मुखर्जी और पीटर थे। सूत्रों का कहना है कि इंद्राणी ने सीबीआई को बयान दिया है कि कार्ति ने एफआईपीबी क्लीयरेंस के लिए उनसे एक मिलियन डॉलर (6.5 करोड़ रुपये) की मांग की थी। दूसरी तरफ सीबीआई ने भी इस केस में अपनी तरफ से पूरी तैयारी की है। बता दें कि कार्ति की गिरफ्तारी के लिए भी सीबीआई ने पूरा जाल बुना था।