पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने का आदेश दिया है। 342 सांसदों वाली नेशनल असेंबली में बहुमत का जादुई आंकड़ा 172 है।
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प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी इससे काफी दूर है। उनके पास 142 सांसदों का समर्थन है, जबकि एकजुट हुए विपक्ष के पास 199 सांसद हैं। ऐसे में इमरान का जाना और विपक्षी मोर्चे का सत्ता में आना तय है।
क्या नई सरकार कमजोर नींव वाली होगी?
विपक्षी मोर्चे में जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) नई सरकार के प्रमुख घटक होंगे। नवाज की पीएमएल-एन के नेशनल असेंबली में 84 जबकि पीपीपी के 47 सांसद हैं। लिहाजा पीपीपी पहले ही नवाज की पार्टी को प्रधानमंत्री का पद देने को तैयार है। नवाज शरीफ के भाई शहबाज का अगला पीएम बनना तय है।
पाकिस्तान के पंजाब सूबे में मजबूत आधार वाली पीएमएल-एन और सिंध की ताकतवर पार्टी पीपीपी कभी धुर विरोधी रही हैं। अब सत्ता के लिए इन्होंने हाथ मिला लिया है।
इमरान की दिक्कतों को बढ़ाने वाले तीन सियासी किरदार
पीपीपी नेता बिलावल पीएमएल-एन नेताओं पर हमलावर रहे हैं। फरवरी 2020 में उन्होंने कहा था- इमरान की तरह ही पीएमएल-एन नेता नवाज शरीफ भी कठपुतली पीएम थे। पीटीआई की तरह पीएमएल-एन भी संसद को महत्व नहीं देती है। वहीं, उनके पिता आसिफ अली जरदारी अक्टूबर 2017 में कह चुके हैं कि जब मैं भ्रष्टाचार मामले में जेल में था, तो शरीफ बंधुओं ने मेरी हत्या की दो बार योजना बनाई थी।
शरीफ ने जरदारी के खिलाफ जांच खोली
पीएमएल नेता शहबाज शरीफ कई बार पीपीपी नेताओं पर निधाना साध चुके हैं। 2012 में उन्होंने कहा था- राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस की जांच दोबारा शुरू करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को न मानकर पीएम गिलानी न्यायपालिका का अपमान किया। उनके गृहमंत्री ने भ्रष्टाचार मामलों में पीपीपी नेताओं के खिलाफ जांच में तेजी का आदेश दिया था। इससे पीपीपी नेताओं पर एफआईए और एनएबी ने शिकंजा कसा।
‘डीजल’ फजल ने लगाया पलीता
पाकिस्तान की जेयूआई के मौलाना फजल उर रहमान ने दरअसल, पीपीपी और पीएमएल-एन को एक करने में अहम भूमिका निभाई। फजल उर रहमान इमरान खान सरकार के धुर विरोधी रहे हैं। देवबंदी फजल ने इमरान के खिलाफ इस बार बड़ा मोर्चा खोला। कट्टरपंथी फजल पूर्व में सेना के समर्थक माने जाते थे।
इमरान विपक्ष पर भ्रष्टाचार के केस में शिकंजा कस रहे थे
पीपीपी-पीएमएल-एन की विचाराधारा अलग है। लेकिन, अब इमरान के खिलाफ एक हो गई हैं। इनके साथ आने की वजह है कि इमरान सरकार पीएमएल-एन और पीपीपी के सभी बड़े नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर केस चला रही थी। नवाज और जरदारी को जेल भी भेजा जा चुका था।
पंजाब सूबे में भी विपक्ष ने बढ़ाई इमरान की मुश्किलें
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब में भी विपक्ष की एकजुटता के सामने मुश्किलों में घिर गई है। विधायकों की संख्या कम होती देख इमरान की पार्टी पीटीआई के नए मुख्यमंत्री परवेज इलाही को शपथ नहीं दिलाई जा सकी है। क्योंकि इमरान अपने पुराने सीएम बुजदार को हटा चुके हैं।
अविश्वास प्रस्ताव खारिज करना असंवैधानिक: सुप्रीम कोर्ट
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल असेंबली को भंग करने के आदेश को असंवैधानिक करार दिया। चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ ने कहा- ‘नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव खारिज करना असंवैधानिक था।
गठबंधन सरकार बनेगी, लेकिन वह कुछ ही दिन चलेगी
पाकिस्तान के सियासी विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में 9 अप्रैल को विश्वास मत से पहले इमरान प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। संभावना यह भी है कि नए सिरे से चुनाव हों।
इमरान की पत्नी बुशरा बीबी की दोस्त फरहा खान से जुड़े मामले सामने आने लगे हैं। फरहा ने करोड़ों रुपए घूस लेकर शीर्ष ब्यूरोक्रेट्स के अपॉइंटमेंट कराए हैं। आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार की और कहानियां भी सामने आएंगी। एक अन्य थिंकटैंक अली सरवर नकवी के मुताबिक, नई सरकार को आर्थिक संकट का सामना करना होगा।