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जेलेंस्‍की ने रचा चक्रव्यूह, RUSSIA से निपटने के लिए ‘नाटो’ बनाना चाहता है UKRAINE, क्या मानेंगे मोदी?

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यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोदमयर जेलेंस्‍की रूसी हमले के बीच नाटो में शामिल होने की उम्‍मीदें धूमिल होने के बाद अब अपना खुद का ‘नाटो’ बनाने में जुट गए हैं।

 

जेलेंस्‍की ने शक्तिशाली भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के खिलाफ सुरक्षा गारंटर बनने की अपील की है।

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44वें दिन से भीषण लड़ाई जारी

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 44 दिन से भीषण लड़ाई जारी है। सुपरपावर रूस पश्चिमी देशों के घातक हथियारों से बड़े पैमाने पर नुकसान के बाद भी यूक्रेन से हार मानने को तैयार नहीं है। रूस और यूक्रेन के बीच जंग को बंद करने पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कोई सफलता नहीं मिली है।

रूस के खिलाफ मिले सुरक्षा की गारंटी

यूक्रेन ने कहा है कि वह रूस के क्षेत्रीय दावे पर बातचीत के लिए तैयार है लेकिन उसकी एक शर्त है। यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की ने मांग की है कि दुनियाभर के देशों का एक समूह उन्‍हें रूस के खिलाफ सुरक्षा की गारंटी दे। दरअसल, जेलेंस्‍की नाटो की तर्ज पर ही यूक्रेन के लिए एक खुद का ‘नाटो’ बनाना चाहते हैं।

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मोदी से इस सुरक्षा ‘कवच’ में शामिल होने की गुहार

यूक्रेनी राष्‍ट्रपति ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस सुरक्षा ‘कवच’ में शामिल होने की गुहार लगाई है। इस बीच फ्रांस, तुर्की समेत कई देश सुरक्षा गारंटर बनने के लिए तैयार हो गए हैं। अब यूक्रेन की नजरें भारत पर टिकी हुई हैं।

आइए समझते हैं पूरा मामला

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मानवीय सहायता देने के लिए भारत का धन्‍यवाद

यूक्रेन के राष्‍ट्रपति ने एक भारतीय टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘हम भारत को मानवीय सहायता देने के लिए धन्‍यवाद देते हैं लेकिन मैं चाहूंगा कि पीएम मोदी यूक्रेन के लिए एक सुरक्षा गारंटर बनने के बारे में सोचें। इससे अगर रूस उल्‍लंघन करता है तो गारंटर उसके खिलाफ हो जाएंगे। मैं दोनों देशों के लोगों और सरकारों के बीच एक विशेष रिश्‍ता चाहूंगा।

याद दिलाया सोवियत संघ के साथ रिश्‍ता

जेलेंस्‍की ने यह भी याद दिलाया कि भारत का सोवियत संघ के साथ एक रिश्‍ता था न कि रूस के साथ। उन्‍होंने कहा, ‘मैं समझ सकता हूं कि रूस और यूक्रेन के बीच रिश्‍ते में एक संतुलन बनाए रखना मुश्किल है। समझदारी यह देखने में है कि भविष्‍य में क्‍या होने जा रहा है।’

भारत के जरिए रूस का ‘शिकार’

जेलेंस्‍की ने कहा कि वह रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन से सीधी बातचीत करना चाहते हैं और उनकी कोई पूर्व शर्त नहीं है। उन्‍होंने नाम लेकर कहा कि वह सुरक्षा गारंटर के रूप में भारत का स्‍वागत करेंगे। इस बीच फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों यूक्रेन की इस गुहार पर सुरक्षा गारंटर बनने के लिए तैयार हो गए हैं।

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यूक्रेन चाहता क्या है?

दरअसल, यूक्रेन चाहता है कि रूस के तनाव के दौरान सुरक्षा गारंटर के रूप में दुनिया के कई देशों का समूह खड़ा हो जो यह वादा करे कि अगर यूक्रेन पर फिर से हमला होता है तो वे उसकी बचाव में मदद करेंगे। जेलेंस्‍की की मुख्‍य कोशिश नाटो देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, फ्रांस और जर्मनी को यूक्रेन का सुरक्षा गारंटर बनाना है। इससे पहले तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने कहा था कि वह यूक्रेन का सुरक्षा गारंटर बनने को तैयार हैं। हालांकि चीन इससे किनारा काट रहा है।

एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश

अब जेलेंस्‍की ने भारत को सुरक्षा बनने की अपील करके एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है। भारत दुनिया की चौथी सैन्‍य ताकत है और यूक्रेन की संकट के समय पर बड़े पैमाने पर मदद कर सकता है। वहीं भारत रूस के सबसे करीबी दोस्‍तों में शामिल है। भारत रूस से हर साल अरबों डॉलर का हथियार और अन्‍य सामान खरीदता है। अगर भारत यूक्रेन के साथ जाता है तो इससे रूस दबाव में आ जाएगा।

रूस सही है या यूक्रेन

यही वजह है कि जेलेंस्‍की चाहते हैं कि भारत को भी सुरक्षा गारंटर बनने वाले देशों के समूह में शामिल किया जाए। हालांकि पीएम मोदी के लिए यूक्रेन का सुरक्षा गारंटर बनना आसान नहीं होगा। इस‍के पीछे वजह यह है कि अगर कभी भविष्‍य में फिर से जंग होती है तो यह कौन तय करेगा कि रूस सही है या यूक्रेन।

जेलेंस्‍की का ‘नाटो’, क्‍या करेगा भारत ?

यूक्रेन ने रूसी हमले के बाद अमेरिका के नेतृत्‍व वाले नाटो से खुद को अलग करने का ऐलान तो कर दिया है लेकिन अभी उसने अपनी इस योजना को पूरी तरह से नहीं छोड़ा है। नाटो के नियम के मुताबिक अगर किसी एक सदस्‍य देश पर विदेशी हमला होता है तो सभी देश सामूहिक रूप से उसकी सुरक्षा करेंगे।

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रूस के खिलाफ कैसे काम करेगा यूक्रेन का अपना ‘नाटो’

यूक्रेन के वरिष्‍ठ वार्ताकार मयखैलो पोडोलय का कहना है कि सुरक्षा गारंटी युद्ध को खत्‍म करने में मदद कर सकती है। उन्‍होंने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय कानून के तहत कथित सुरक्षा गारंटरों की यह कानूनी जिम्‍मेदारी होगी कि अगर यूक्रेन को लेकर संघर्ष छिड़ता है तो वे सैनिक, हथियार या वित्‍तीय मदद देंगे। उन्‍होंने यह भी कहा है कि इस संबंध में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और तुर्की से बातचीत चल रही है।

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हालांकि यूक्रेन की इस मांग को पूरा करने में कई बाधाएं हैं। इससे पश्चिमी देशों का सीधे रूस के साथ युद्ध हो सकता है। वहीं अगर भारत भी इसमें शामिल होता है तो भारत को भी रूस के खिलाफ सेना और ह‍थियार भेजना होगा जो कभी भारत करेगा नहीं। ऐसे में भारत का यूक्रेन के ‘नाटो’ में शामिल होना लगभग असंभव है।

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