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रूस-अमेरिका आमने-सामने, RUSSIA ने MISSILE से उड़ाया अपना ही SETELITE, नाराज़ हुआ अमेरिका

NASA ने प्राइवेट अंतरिक्षयान से किया ऐतिहासिक मानव मिशन लांच

रूस और अमेरिका एक बार फिर आमने सामने आ गए हैं इसकी वजह है अंतरिक्ष में हुई एक घटना। अंतरिक्ष में हुई इस घटना के बाद रूस और अमेरिका में गंभीर तनाव पैदा हो गया।

अमेरिका ने लगाया आरोप

अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रूस ने मिसाइल से अपने ही एक सैटेलाइट को तबाह कर दिया। इससे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के क्रू मेंबर्स को खतरा पैदा हो गया है। रूस ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट को तबाह करने वाले एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण किया । बताया जा रहा है कि इस टेस्ट के दौरान रूस ने अपने एक पुराने जासूसी उपग्रह कॉसमॉस-1408 को उड़ा दिया।

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सैटेलाइट का मलबा स्पेस में फैला

अमेरिका ने कहा है कि सैटेलाइट फटने के बाद उसका मलबा स्पेस एरिया में फैल गया। इससे बचने के लिए आईएसएस में मौजूद सात क्रू मेंबर्स को कैप्सूल में जाना पड़ा। इसकी वजह से उनके काम को नुकसान हुआ।

अमेरिकी सरकार और नासा हुआ नाराज

रूस की इस हरकत से अमेरिकी सरकार और नासा काफी नाराज है। उन्होंने रूस के इस कदम को खतरनाक औरगैर जिम्मेदाराना बताया है। नासा के मुताबिक, वो काफी समय से रूस की स्पेस एक्टिविटीज पर नजर रख रही है और उसने रूसके इस कदम को भांप लिया था।

अंतरिक्ष में हथियारों की नई रेस शुरू

अब तक सिर्फ चार बार ऐसा हुआ है जब धरती से दागे किसी मिसाइल ने स्पेस में अपने टारगेटको हिट किया हो। नासा का कहना है कि रूस के इस कदम से अंतरिक्ष में हथियारों की नई रेस शुरू होने का खतरा पैदा हो गया है।

ऑर्बिट में तैर रहे सैटेलाइट के करीब 1500 टुकड़े 

अमेरिका ने कहा है कि रूस के इस कदम से न सिर्फ अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ शुरू होगी, बल्कि अंतरिक्ष में लेजर वेपन्स का खतरा भी बढ़ जाएगा। अमेरिकी सरकार ने रूस के इस कदम को बेहद गंभीरता से लिया है। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि एंटी सैटेलाइट मिसाइल का इस्तेमाल गैर जिम्मेदाराना हरकत है। हमने पाया कि सैटेलाइट के करीब 1500 टुकड़े ऑर्बिट में तैर रहे हैं और इससे आईएसएस को खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका इस बारे में अपने सहयोगी देशों से बातचीत कर रहा है।

ब्लास्ट के बाद कैप्सूल केबिन में लौटे आईएसएस के क्रू मेंबर्स

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी आईएसएस में इस वक्त कुल मिलाकर सात क्रू मेंबर्स हैं। ये बदलते रहते हैं। इनमें चार अमेरिकी, एकजर्मन और दो रूसी वैज्ञानिक हैं। घटना के वक्त ये स्टेशन के बाहर थे। ब्लास्ट क ेबाद सभी सदस्य अपने कैप्सूल केबिन में लौट आए। ये दो घंटे तक यहीं रहे।

इस हरकत का मिलेगा करारा जवाब

अमेरिका ने कहा कि इस हरकत का जवाब देंगे। भारत, अमेरिका, रूस औरचीन जैसे देश धरती से ही कक्षा से उपग्रहों को बाहर निकालने में सक्षम हैं। चीन ने2007 में अपने निष्क्रिय मौसम उपग्रह को नष्ट किया था, तो 3000 से अधिक मलबे के टुकड़े बने थे।

 

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