अमेरिका को दुनिया का सुपर पॉवर देश कहा जाता है। अगर हम इस देश के कोई नाम देना चाहें तो वो सुपरमैन हो सकता है। जी हां अब आप सोच रहे होंगे भला ऐसे कैसे तो चलिये जानते हैं कि कैसे हम अमेरिका को सुपरमैन का नाम दिया जा सकता है।
और ट्रप ने खुलेआम इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि हमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि ईरान इस बात को कैसे लेगा और क्या कहेगा। ईरान की स्थिति बिल्कुल आगे कुआं और खायी वाली ही थी। बता दें कि उसी साल 2020 में अमेरिकी चुनाव भी होने वाले थे। जिसमें ट्रंप के हारने की आशंका जताई जा रही थी।
वहीं बाइडन की जीत से ईरान को फायदा मिलता। और यही वजह थी कि सुलमानी की हत्या पर ईरान ने चुप रहना ही सही समझा। क्योंकि ईरान का एक कदम डील के दरवाजे हमेशा के लिये बंद हो जाते । हांलाकि ईरान ने कई बड़े- बड़े दावे किये । लेकिन वो सिर्फ् बातें ही निकलीं। बता दे कि इजरायल भी एक ऐसा देश है जो कि बैडमैंन की लिस्ट में शामिल है। जी हां अमेरिका और इजराइल में फर्क सिर्फ इतना है कि इजरायल छुपकर वार करता है।
इजरायल अपनी खुफिया एजेंसी के लिये जाना जाता है। आपको बता दें कि इजरायल ईरान के कई मिलेट्री को लोगों को मार चुका है। लेकिन उसने कभी भी इसकी जिम्मेदारी ली और ना ही खुलकर सामने आया है। ईरान में साल 2010 से लेकर अब तक इजरायल ना जाने कितने ही खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दे चुका है।
उसने 2010 में फिजिक्स के ईरानी एक्सपर्ट मसूद अली मोहम्मदी और माजिद सेहरियात की हत्या कर दी। उसके बाद 2011 वैज्ञानिक द रोश की हत्या कर दी गयी। इसके अलावा भी कई वेज्ञानिक मारे गये और कई अगवा कर लिये गये। वैसे तो इजरायल दुश्मनों से घिरा हुआ है।
साल 2021 में ईरान की सता में परिवर्तन देखने मिला, वहं के नये राष्टपति ने न्यूक्लियर डील में उन्हेंने मांग रखी की अमेरिका सभी आर्थिक प्रतिबंधों को वापस ले लेंकिन बाइडन का कहना था कि जो ट्रप ने प्रतिबंध लगाये थे सिर्फ उन्हें को वापस लिया जायेगा। आपको बता दें कि इसमें अब चाइना भी शामिल हो चुका है। आपको बता दें कि न्यूक्लियर डील की संस्ता है (IAEA) जिसका काम है न्यूक्लियर एनर्जी के इस्तेमाल पर रोक लगाना। इसका कहना है कि अगर डील लागू नहीं होती तो ईरान परमाणु बनाने में एक कदम और बढ़ जायेगा।