नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच आंतरिक सुरक्षा में सहयोग के मुद्दे पर पहली बार समझौता हुआ। जिस पर दोनों देशों के आला मंत्रियों ने दस्तखत किया। भारत की ओर से गृहमंत्री राजनाथ सिंह और चीन की ओर से पब्लिक सिक्युरिटी मिनिस्टर ज़ाओ कजाई के बीच ये करार हुआ। इस समझौते के दौरान खास बात ये रही कि अरुणाचल प्रदेश का कोई सांसद यानी मौजूदा सांसद और गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू भी पहली बार इस समझौते के दौरान मौजूद थे। चीन हमेशा से अरुणाचल को विवादित हिस्सा मानता रहा है और समझौते के वक्त रिजिजू की मौजूदगी चीन के बदले हुए नरम रुख का संकेत हैं।
पब्लिक सिक्युरिटी मिनिस्टर ज़ाओ किजाई बीते सोमवार को गृह मंत्रालय पहुंचे
बता दें कि चीन के पब्लिक सिक्युरिटी मिनिस्टर ज़ाओ किजाई बीते सोमवार को गृह मंत्रालय पहुंचे, जहां भारत और चीन के बीच अहम करार हुआ। इस दौरान किजाई ने पहले गृहमंत्री से अकेले में भेंट की, फिर दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बीच वार्ता हुई। इससे पहले आंतरिक सुरक्षा पर दोनों देशों के बीच सिर्फ समझौते के मसौदे पर ही सहमति बनी थी, लेकिन ये पहला मौका था जब इस सहमति ने करार का शक्ल लिया।
भारत और चीन के प्रतिनिधिमंडल की बैठक के दौरान सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हुई
वहीं भारत और चीन के प्रतिनिधिमंडल की बैठक के दौरान सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें सबसे ज्यादा जोर आतंकवाद पर काबू पाने पर दिया गया। इसके अलावा मानव तस्करी, ड्रग ट्रेड, साइबर क्राइम, वित्तीय अपराध पर अलग-अलग एजेंसियों के बीच सहयोग पर भी चर्चा हुई। इस बातचीत में यह तय हुआ कि एनआईए, एनसीबी जैसी भारतीय एजेंसियां भारत की ओर से चीन की संबधित एजेंसियों को सहयोग करेंगी और उनका सहयोग लेंगी। इस बैठक में दोनों देशों ने अपनी-अपनी चिंताएं भी रखी, जिस पर आगे काम करने की सहमति बनी। इस दौरान भारत ने मसूद अजहर के अलावा उत्तर पूर्वी भारत में एक्टिव टेरेसिस्ट ग्रुप को लेकर चीन के समक्ष अपनी चिंता जाहिर की, जबकि चीन ने शिंजियांग प्रांत में वीगर समस्या पर चर्चा की।
गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने भी इस समझौते की प्रक्रिया में हिस्सा लिया
वहीं गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने भी इस समझौते की प्रक्रिया में हिस्सा लिया। रिजिजू अरुणाचल प्रदेश से सांसद हैं, जिसे चीन हमेशा से विवादित मानता रहा है। यह पहला मौका रहा जब अरुणाचल के सांसद ने ऐसी उच्चस्तरीय वार्ता और एग्रीमेंट साइन होने की प्रक्रिया में हिस्सा लिया। यह इस बात की ओर इशारा करता है चीन का रुख हाल की दिनों में कितना नरम हुआ है और ये उसी सांसद की मौजूदगी में पहला करार करता है जिसकी यात्रा पर वो आपत्ति जताता रहा है।