पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस वक्त अपने एक इंटरव्यू को लेकर काफी चर्चा बटोर रहे हैं। दरअसल इमरान खान का एक जवाब इस वक्त काफी सुर्खियों में है। साथ ही लोग इमरान के जवाब का मजाक उड़ा रहे हैं। दरअसल बुधवार को हुए इमरान के इंटरव्यू में उनसे हक्कानी नेटवर्क के बारे मे पूछा गया था। पत्रकार एंडर्सन ने इमरान से पूछा था कि हक्कानी नेटवर्क अमेरिका और अफगानिस्तान पर हुए हमलों में शामिल रहा है। और कहा जाता है इसमें पाकिस्तान उसकी मदद करता रहा है।
वहीं हक्कानी पर बोलते हुए इमरान ने कहा कि अमेरिका हक्कानी के बारे में कुछ नहीं जनता और ना ही उसको हक्कानी नेटवर्क की समझ है। इमरान ने कहा कि हक्कानी एक ट्राइब (जनजाति) हैं…ये पश्तून ट्राइब (जाति) हैं और अफ़ग़ानिस्तान में रहते हैं। 40 साल पहले जब अफ़ग़ान जिहाद शुरू हुआ तो 50 लाख अफ़ग़ान शरणार्थी पाकिस्तान आए। इनमें से कुछ हक़्क़ानी मुजाहिदीन थे और सोवियत से लड़ रहे थे। इनका जन्म पाकिस्तान के अफ़ग़ान शरणार्थी कैंपों में हुआ है। हालांकि इमरान के इस ब्यान पर उनकी काफई मजाक बन रही है और लोग उनपर तंज कस रहे हैं।
क्योंकि ना तो हक्कानी ट्राइब (जनजाति) हैं और न ही वे पश्तून हैं। अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक़्क़ानी ने ट्वीट कर लिखा है, ”मेरे सबसे अहम पूर्वज मौलाना अबु मुहम्मद अब्दुल हक़ हक़्क़ानी मुफ़सिर देहलवी एक धर्मशास्त्री थे। इन्हें पुरानी दिल्ली में सूफ़ी संत हज़रत बक़ी बिल्लाह की मज़ार के पास दफ़नाया गया था। उन्होंने तफ़सीर-ए-हक़्क़ानी और अन्य किताबें लिखी थी।
वहीं हक्कानी ने दूसरा ट्वीट किया और उसमें लिखा कि ”मेरा सरनेम दिल्ली के परिवार से आया। पश्तून हक़्क़ानी को यह टाइटल पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में अकोरा खट्टक स्थित दारुल उलूम हक़्क़ानिया में पढ़ने के कारण मिला। जलालुद्दीन और उनके परिवार ज़र्दान ट्राइब से हैं। पश्तूनों में कोई हक़्क़ानी ट्राइब नहीं है। अगर जलालुद्दीन हक़्क़ानी, हक़्क़ानी ट्राइब(जनजाति) से हैं तो इमरान ख़ान एचिसन और ऑक्सफ़ोर्ड ट्राइब हैं।’
इमरान ने अपनी पढ़ाई लंदन में एचिसन और ऑक्सफ़ोर्ड से की है। पाक के मशहूर पत्रकार ने भी इमरान के इस बयान को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि ”सीएनएन पर इमरान ख़ान को कहते हुए सुना कि हक़्क़ानी अफ़ग़ानिस्तान में ट्राइब(जनजाति) हैं। हक़्क़ानी कोई ट्राइब(जाति) नहीं हैं। ये सभी दारूल उलूम हक़्क़ानिया अकोरा खट्टक के छात्र हैं। इनमें जलालुद्दीन हक़्क़ानी भी शामिल हैं। जिन्होंने सोवियत यूनियन को हराने में अहम भूमिका अदा की थी।
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