अगाध आस्था और श्रद्धा के केन्द्र के रूप में जाना जाता है, मन्दसौर के तलाई वाले बालाजी का दरबार। गांधी चैराहा और बालागंज के संधि स्थल के बीच स्थित तलाई वाले बालाजी की लीला कितनी अपरंपार है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि,यदि आप यहां मंगलवार के दिन चोला चढ़वाना चाहते हैं तो आपका नंबर 26 साल बाद यानी 2044 में आएगा। यदि शनिवार को चोला चढ़ाना है तो 21 साल इंतजार करना होगा और सामान्य दिनों में भी उसे सात साल इंतजार करना होगा।
संकटो को दूर करने वाले और हर मनोकामना को पूर्ण करने वाले चमत्कारिक तलई वाले बालाजी के यहां सुबह 5 बजे से भक्तों का सैलाब उमडना शुरू होता है जो रात 10 बजे तक अनवरत जारी रहता है। ऐसी मान्यता है कि, हनुमान जी कलियुग के प्रत्यक्ष देवता हैं, उनके दर्शन मात्र से राम की कृपा सुलभ हो जाती है जिससे दैहिक , दैविक , एवं भौतिक ताप तुरंत दूर हो जाते हैं । श्री तलाई वाले बालाजी के दरबार में लड्डू चूरमे का प्रसाद चढ़ाने, राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करवाने और चोला चढ़ाने से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। यही वजह है कि यहां हर दिन चोला चढ़ाने के बावजूद चोले की प्रतिक्षा सूची सालों की लम्बित है। मन्दिर सूत्रों की माने तो मंगलवार को चोला चढ़ाने के लिये 26 साल, शनिवार के लिये 21 साल, सामान्य अन्य वारों के लिये करीब 7 साल का इंतजार भक्तों को करना पड़ता है। इतना ही नहीं राम रक्षा स्त्रोत करवाने के लिये 2 साल और लड्डू चूरमे के भोग के लिये भी करीब 2 साल की प्रतिक्षा भक्तों को करना पड़ेगी।
तलाई वाले बालाजी का मंदिर एक ऐसा अनूठा मंदिर है जहां पट खुलने से राम रक्षा स्त्रोत की गूंज गूंजती है तो वहीं रात को पट बन्द होने पर सुन्दरकाण्ड, हनुमान चालिसा और भजन कीर्तन के सूर गूंजते रहते है। प्रतिदिन सैकड़ों से लेकर हजारों की तादाद में भक्त यहां मत्था टेककर दयालु बाबा के नाम से पहचाने जाने वाले तलाईवाले बालाजी का आशीर्वाद प्राप्त करते है। भक्ति और श्रद्धा इतनी अटूट है कि व्यापारी और नौकरी पर जाने वाले लोग पहले दरबार में मत्था टेकते है और फिर अपने काम-काज की शुरूआत करते है।
700 साल पुराना है इतिहास
लगभग सात सौ वर्ष पुरानी बालाजी की प्रतिमा प्रारम्भ में विशाल वटवृक्ष के नीचे विराजित थी, यह स्थान शहर से दूर सूबा साहब (कलेक्टर) बंगले के पास स्थित था । मंदिर के पास ही एक तलाई थी जिस पर वर्तमान में नगरपालिका तरणताल स्थित हैं । किवंदती हैं कि इस प्रतिमा की स्थापना अत्यंत सिद्ध परमहंस संत द्वारा की गयी थी, बहुत समय तक यहाँ बनी धर्मशाला, तलाई एवं मंदिर साधु संतों एवं जमातों का विश्राम एवं आराधना स्थल रहा ।उपलब्ध प्रमाणों से ज्ञात होता हैं कि नगर की प्रमुख फर्म एकामोतीजी के फूलचंदजी चिचानी, बद्रीलालजी सोमानी, नत्थूसिंहजी तोमर ने लम्बे समय तक अपनी सेवाएं दी। अन्नत श्री विभूषित ब्रह्मलीन पूज्य राजारामदासजी महाराज अधिष्ठाता, श्री पंचमुखी बालाजी मंदिर, भीलवाड़ा ने भी 1940 ई. में यहाँ रहकर साधना की हैं।सन 1964 में बालाजी मंदिर न्यास के गठन के बाद मंदिर परिसर का योजनाबद्ध तरीके से विस्तार किया जा रहा रहा हैं । 1995 के पश्चात् मंदिर के पुनर्निर्माण के कार्य के अंतर्गत 85 फीट ऊँचा शिखर तथा निज मंदिर का निर्माण लगभग पूर्णता की ओर है, इसमें बालाजी के स्थानीय भक्तों के अतिरिक्त देश-विदेश में फैले भक्तों का सहयोग रहा हैं।
ओबामा की जीत के लिए हुआ था अनुष्ठान
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव के दौरान प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए बराक ओबामा की जीत को लेकर श्री तलाई वाले बालाजी मन्दिर के दरबार में अनुष्ठान भी हुआ था। अमेरिका में रहने वाले परिवार, जो बालाजी को अपना इष्ट मानता है उस परिवार ने यहां अनुष्ठान और धार्मिक आयोजन कर जीत की मनोकामना मांगी थी। गौरतलब है कि चुनाव के दौरान बराक ओबामा ने विजयश्री का वरण भी किया था।
ट्रस्ट के माध्यम से हो रहा है विकास
श्री तलाई वाले बालाजी के निज स्थान से लेकर मन्दिर के विकास का दौर जारी है, परम पूज्य रामानुजजी शास्त्री के मार्गदर्शन में विकास की शिलाएं निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर है। वर्तमान में बालाजी मंदिर न्यास के अध्यक्ष पद को धर्मनिष्ठ, समाजसेवी, एडवोकेट धीरेन्द्र त्रिवेदी सुशोभित कर रहे हैं, उनके साथ पूर्ण समर्पित भाव से उपाध्यक्ष दिलीप जोशी, सचिव भागीरथ हिवे, सहसचिव धन्नालाल माली, कोषाध्यक्ष गोपाल गोयल तथा ओमप्रकाश व्यास , न्यासीगण जयप्रकाश सोमानी, सुशील गुप्ता, महेश कटलाना, अशोक गुप्ता, निरंजन अग्रवाल एवं हरिओम सिंह तोमर कार्य कर रहे है।
हिंदुस्थान समाचार/अशोक /गौरव