प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकार या कोई दूसरा संस्थान कर्मचारी की समलैंगिकता को आधार बनाकर उसे नौकरी से नहीं हटा सकता। समलैंगिकता किसी व्यक्ति का निजी अधिकार है।
अदालत ने यह फैसला बुलंदशहर में तैनात एक होमगार्ड की याचिका पर सुनाया है। होमगार्ड को 11 जून 2019 को सेवा से हटा दिया गया था। जिला कमांडेंट होमगार्ड ने यह कार्रवाई होमगार्ड का वीडियो वायरल होने के बाद की थी। इस कार्रवाई के खिलाफ होमगार्ड ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
अदालत ने कहा कि यह आदेश नवतेज के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई गाइडलाइन का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति किसके साथ रहना चाहता है यह उसका निजी मामला है। इसे अपराध समझने वाला कोई भी कार्य उस व्यक्ति की निजता में हस्तक्षेप करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक समाज के लोगों का एक-दूसरे के प्रति सार्वजनिक लगाव का प्रदर्शन करना अशोभनीयता की श्रेणी में नहीं आता और न ही इससे लोक शांति को कोई नुकसान होता है।
कोर्ट ने बुलंदशहर में तैनात होमगार्ड को सेवा से हटाने का आदेश रद्द कर दिया है और होमगार्ड विभाग के कमाडेंट जनरल को याची को तत्काल सेवा में वापस लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की अदालत ने दिया है।