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केदारनाथ त्रासदी के 5 साल पूरे होने पर जानें कैसे आयी थी आपदा और क्यों….

KEDARNATH केदारनाथ त्रासदी के 5 साल पूरे होने पर जानें कैसे आयी थी आपदा और क्यों....

उत्तराखंड के लिए 16 जून का दिन बेहद खोंपनाक रहता है। आपको बता दें कि बाबा धाम केदारनाथ की घाटी में 16 जून 2013 दिन रविवार को दिल दहला देने वाली घटना घटी थी। आपदा के वक्त केदारनाथ में मौजूद रहे चश्मदीदों के अलावा देश के जाने माने इतिहासकार, वैज्ञानिक, भूगर्भशास्त्री और आपदा विशेषज्ञों के अनुसार कुछ तर्क मौजूद हैं।

 

KEDARNATH केदारनाथ त्रासदी के 5 साल पूरे होने पर जानें कैसे आयी थी आपदा और क्यों....

वैज्ञानिक और भूगर्भशास्त्री किसी नतीजे पर एक राय नहीं

16 जून के दिन कैसे ये सब हूआ, अगर कारणों पर गौर करें तो अब भी वैज्ञानिक और भूगर्भशास्त्री किसी नतीजे पर एक राय नहीं हो पाए हैं।। जो भी जानकारी उपलब्ध है उसको समझने के लिए घटना के बारे सारे तत्थ्यों को जानना जरूरी है। केदारनाथ आयी जल प्रलय में क्या-क्या हुआ इसका अध्यन करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। केदारनाथ ही नहीं नदी के बहाव के साथ आगे बढ़ने पर रामबाड़ा, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, चंद्रापुरी, अगस्त्यमुनि और श्रीनगर जैसे इलाकों में भी कुदरत के कहर का मंजर बहुत खतरनाक था।

केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू,घटा किराया

उत्तराखंड में अनेक जगहों पर भूस्खलन हो हुए थे

दंश से गुजरे पूरे इलाके में नुकसान होना तो केदारनाथ में प्रलय आने से पहले ही शुरू हो गई थी। उत्तराखंड में अनेक जगहों पर भूस्खलन हो रहे थे वहीं रास्ते कट रहे थे और पुल भी टूटे गौरतलब है कि तबाही एक दिन की बाढ़ से नहीं बल्कि दो तीन दिन तक अलग-अलग स्थानों पर राज्य में दैवीय कहर से केदारनाथ में तबाही के आलम को समझने के लिए पूर 24 घंटे की घटनाओं का विश्लेशण जरूरी है।

 

प्रलय में हजारों लोग लापता हो गए थे

गौरतलब है कि 2013 में उत्तराखंड में आई जल प्रलय ने बाबा केदारनाथ धाम घाटी को पूरी तरह तहस-नहस कर था। घटना स्थल पर मौजूद लोगों के अनुसार वहां पर कभी इतनी तेज बारिश पहले कभी नही हुई थी।16 जून दिन रविवार को केदारनाथ का हर आदमी दहसत में था। आयी प्रलय में हजारों लोग लापता हो गए जो आज तक नही मिले और बाबा का मंदिर को भी छति हुई थी। भैंरोनाथ के मंदिर वाली पहाड़ी भी आपदा के दंश का शिकार होकर टूट गई थी। किन अब वहां पर सब कुछ सामान्य है।

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम केदारनाथ यात्रा व्यवस्था की समीक्षा की

घाटी में जलप्रलय के बाद का मंजर इतना डरावना था कि वहां का हर एक शख्स डरा हुआ था

देहरादून में पांच वर्ष पहले 2013 की 16-जून को घटित खौपनाक मंजर सर्वविदित है। आपको बता दें कि बाबाधाम केदार नाथ घाटी समेत उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा का कहर इस तरह बरपा कि घाटी को पूरी तरह तबाह कर दिया था। जिसे भूलना मुश्किल है। घाटी में जलप्रलय के बाद का मंजर इतना डरावना था कि वहां का हर एक शख्स डरा हुआ था। भले ही इस त्रासदी के दिए गए जख्मों को भर पाना मुश्किल हो लेकिन प्रशासन ने 5 साल पहले जल प्रलय का दंश झेल चुकी बाबा धाम केदार घाटी रोनक लाने में पूरी मेहनत लगा दी और इसका असर भी दिखने लगा है। गौरतलब है कि पवित्र धाम की रौनक वापस हुई है।

 

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बाबा धाम केदारनाथ घाटी को मिला नया रूप

गौरतलब है कि बाबा धाम केदार नाथ घाटी को नए तरीके का रंग रूप दिया जा रहा है। धाम के नया रूप देने की कोशिश जोर-शोर से चल रहा है। यदि इस कोशिश को पूरी ईमानदारी से अमल में लाया गया तो आने वाले समय में विश्व का प्रत्येक व्यक्ति बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए जरूर धाम में आना चाहेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केदारनाथ धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना की

केदारनाथ की जल प्रलय के सरकारी आंकड़े

सन् 2013 की केदारनाथ की जलप्रलय के सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक 4 हजार से ज्यादा लोग लापता हैं। आपको बता दें कि लापता लोगों को मृत माना कानूनी तौर पर गलत है। गौरतलब है कि कानूनी तौर पर किसी भी व्यक्ति का 7 साल तक शव नहीं मिल जाता तब तक मृत घोसित नहीं किया जा सकता।इसी कारण राज्य सरकार की फाइलों में हजारों लापता लोगों के नाम है।

केदारनाथ मंदिर के चारों तरफ बड़ी सुरक्षा दीवार

त्रासदी के बाद आज केदारनाथ में बड़ा बदलाव हो चुका है। यहां की सड़के हाईटेक हेलीपैड है और होटल, धर्मशाला के अधुनिक मॉडल तैयार हो चुके हैं। केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा कै लिहाज से मंदिर के चारों तरफ सुरक्षा दीवार का निर्माण किया जा रहा है। यदि भविष्य को त्रासदी आती है तो उसके लिए रेस्क्यू टीम को बी तैनात किया गया है।

 

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6 लाख से अधिक लोग कर चुके है बाबा के दर्शन इस सीजन में

बाबा धाम की यात्रियों के लिए बीते 30 अप्रैल को बाबा के धाम के कपाट खोले गए तब से  6 लाख से अधिक श्रृधालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं। अभी भी यात्रियो के पहुंचने का सिलसिला जारी है। और धाम को नए तरीके से साजा संवारा जा रहा है। ताकि वहां पहुंचने वाले यात्री 2013 की घटना के निशानों को देखकर  भयभीत न हों बल्कि श्रृद्धालु बाबा के यहां का खुशनुमा मंजर देख कर अच्छी और सुहानी यादों को साथ लेकर लौटें।

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        महेश कुमार यदुवंशी 

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