नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस ने अपने महाभियोग का हथियार निकाल लिया है। हालांकि राज्यसभा में कांग्रेस का संख्याबल कम होने के चलते उसे महाभियोग लाने की इजाजत मिलने में मुश्किल आ सकती है। माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अगर उप राष्ट्रपति की ओर से महाभियोग प्रस्ताव को खारिज किया जाता है तो पार्टी का शीर्ष स्तर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। वहीं सोमवार को कांग्रेस राज्यसभा के सभापति के सामने महाभियोग प्रस्ताव को पेश करेगी। मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के ज्यादातर सांसद महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चुके है। हालांकि कांग्रेस के अंदर इस बात पर चर्चा चल रही है कि और अगर उप राष्ट्रपति की ओर से प्रस्ताव को खारिज किया जाता है तो अगला कदम क्या होगा।
इस बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकालत के पेशे से जुड़े सांसदों पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में उन जजों के समक्ष पेश होने पर रोक लगा दी है, जिनके खिलाफ वे महाभियोग की मांग कर रहे हैं। बता दें कि राज्यसभा के चेयरमैन के पास ये अधिकार होता है कि वे महाभियोग के प्रस्ताव को स्वीकार करें या फिर खारिज कर दें। सत्ता पक्ष के रवैये को देखते हुए लगता है कि इसे राज्यसभा चेयरमैन की मंजूरी नहीं मिल सकेगी।
कांग्रेस के रणनीतिकारों को मानना है कि उन्हें इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए। दरअसल संविधान के आर्टिकल 105 के मुताबिक विधायिका की कार्यवाही में न्यायपालिका दखल नहीं दे सकती। हालांकि कानूनी जानकारों का कहना है कि किसी प्रस्ताव को मंजूरी देना या नहीं देना, सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं है। यह सदन के प्रशासनिक कार्यों के दायरे में आता है, ऐसे में प्रशासनिक फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जा सकती है।