अल्मोड़ा: कोरोना काल ने हर किसी को तबाह करके रख दिया है। लॉकडाउन और कोरोना कर्फ्यू के दौरान सबसे ज्यादा परेशानी आवारा पशुओं-जानवरों को हुई है। जो कि खाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। ऐसे में अल्मोड़ा की कामनी कश्यप जो की पेशे से वकील हैं।
कामनी का आधी जीवन आवारा पशुओं-जानवरों की देखभाल में निकल गया। यही नहीं कामनी ने अपने घर को सेल्टर होम में तब्दील कर दिया। जिसमें बेसहारा जीवों के संरक्षण में जुटा हुआ है। कामनी ने बताया कि उनको यह प्रेरणा अपनी माता से मिली है। आज वह इन जानवरों के लिए दिन-रात जुटी रहती है उनके दर्द में सहभागी बनती हैं, उनकी आवाज में शहर के ये आवारा जानवर खिंचे चले आते हैं।
राज्य सरकार द्वारा पशु आयोग सदस्य एवं अपने वकालत से कमाए गए पैसों को वह पिछले 35 वर्षों से इन बेसहारा पशुओं-जानवरों की सुरक्षा तथा उनकी भूख प्यास मिटाने के साथ उनके स्वास्थ्य पर खर्च करती हैं। उनका कहना है कि, लॉकडॉउन के दौरान इनके भरण पोषण के लिए जिला अधिकारी नितिन भदौरिया द्वारा भोजन व दवाइयां का प्रबंध होता है और इनकी देख-रेख के लिए मैं हरपल सचेत रहती हूं। कामनी ने बताया कि जानवरों की देखभाल में 6 टीमें लगी हैं, ताकि इनको किसी तरह की दिक्कत न हो।