नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 12 साल पुराने नियम में बदलाव करते हुए नौकरी करने वालों को राहत देने का काम किया है। वित्त मंत्री ने भले ही टैक्स स्लैब्स में कटौती नहीं की है, लेकिन उन्होंने नौकरीपेशा लोगों को राहत देते हुए 40 हजार रूपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन का ऐलान किया है, जोकि एक अप्रैल से लागू हो गई है। हालांकि 15 हजार रूपये के मेडिकल रींबर्समेंट की सुविधान को वित्त मंत्रालय ने खत्म कर दिया है और साथ ही 19200 रूपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर भी छूट खत्म कर दी है।
इस ऐलान के बाद स्टैंडर्स डिडक्शन के जरिए अधिकतम 5800 रुपय की छुट मिलेगी। हालांकि स्टैंडर्स डिडक्शन को लेकर करदाता के मन में अभी भी कई सवाल विद्मान है। टैक्स दाताओं के मन में चल रहे इन सवालों का जवाब देते हुए टैक्स एक्सपर्ट प्रशांत जैन ने कहा कि स्टैंडर्स डिडक्शन से नौकरीपेशी लोगों को बड़ा फायदा मिल सकता है। आपको बता दें कि स्टैंडर्ड डिडक्शन उसी एकमुश्त रकम को कहा जाता है जिसे वेतन से हुई कुल कमाई में से घटा दिया जाता है और उसके बाद टैक्सेबल इनकम का कैलकुलेशन किया जाता है।
स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी से वेतनभोगी वर्ग को सलाहकारों, स्वरोजगार वालों और फ्रीलांसरों के बराबर खड़ा कर दिया गया, जिन्हें कमाई के लिए किए गए खर्च पर टैक्स डिडक्शन की छूट मिलती है। स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी से पेंशनभोगी वर्ग को सीधा फायदा पहुंचा है। पहले उन्हें ट्रांसपोर्ट अलाउंसऔर चिकित्सा पर विभिन्न खर्चों का रीइंबर्समेंट नहीं मिला करता था, लेकिन नए फैसले के दायरे में पेंशनर्स भी आ चुके हैं जिससे उनके टैक्सेबल इनकम में 40,000 रुपए की और कटौती हो जाएगी। म