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कैसे और कब-कब बढ़ी इस महागठबंधन में सहयोगियों से नीतीश की दूरी

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एनडीए के राष्ट्रपति पद प्रत्याशी को विपक्ष और सहयोगियों के विरोध के बाद दिया समर्थन 

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जब भाजपा ने अपने प्रत्याशी के तौर पर बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को घोषित किया तो नीतीश कुमार ने सबसे पहले जाकर उन्होने बधाई दी थी। इसके बाद पार्टी के साथ बैठक कर रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का ऐलान किया था। इस पर मुद्दे पर सहयोगी पार्टियों ने नीतीश कुमार पर जमकर कटाक्ष किया था। लेकिन नीतीश कुमार ने साफ आरोपों का एक जबाब देते हुए कहा था कि आज विपक्ष को बिहार की याद आई है पहले दो मौके थे तब क्यूं नहीं चुना बिहार से राष्ट्रपति अब रामनाथ कोविंद का समर्थन करें और 2022 की तैयारी करें। बिहार की बेटी को हराने के लिए ही क्यूं चुना है विपक्ष ने।

विपक्ष की बैठकों से बनाई कई बार दूरी

राष्ट्रपति चुनाव के पहले ही जब विपक्ष ने एक जुटता जताने और दिखाने के लिए एक चाय पार्टी का आयोजिन किया था । इस पार्टी में सभी विपक्षी दलों ने भाग लिया था लेकिन नीतीश कुमार ने इस पार्टी से अपनी दूरी बनाई थी। जबकि ठीक अलगे ही दिन वो पीएम मोदी के आमंत्रण पर देश की राजधानी दिल्ली आये और उनके साथ एक कार्यक्रम में शिरकत भी किया और पीएम मोदी के साथ लंच भी किया था। इसके बाद भी विपक्ष के निशाने पर नीतीश कुमार आये थे। तो नीतीश कुमार ने सफाई देते हुए कहा था कि पीएम के आमंत्रण पर आया था। व्यस्तता के कारण कल की चाय पर हुई चर्चा में भाग नहीं ले पाया था।

तेजस्वी और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर टूटा महागठबंधन

सरकार में शामिल राजद के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर पहले आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में सीबीआई और ईडी ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। जिसके बाद सरकार में शामिल राजद के नेता और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव का भी नाम एक बेनामी सम्पत्ति और आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में जोड़ा गया। जिसमें उनके ऊपर सीबीआई ने एक एफआईआर भी दर्ज की अब इस मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार की सरकार और नीतीश कुमार पर विपक्ष का हमला शुरू हो गया। विपक्ष तेजस्वी पर कार्रवाई करने का दबाव बना रहा था तो जनता जबाब मांग रही थी। नीतीश कुमार ने तेजस्वी को इस मुद्दे पर जबाब देने के लिए कई बार कहा था। इसके साथ ही घटक दलों से इस मामले में बढ़ रहे गतिरोध को रोकने का भी अनुरोध किया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने दबाव को झेवते हुए सरकार से इस्तीफा सौप दिया। इसके साथ ही 20 महीने की महागठबंधन सरकार का अंत हुआ।

 

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