नई दिल्ली। 20 महीने पहले यानी 2015 में बिहार की राजनीति में एक बड़ा गठबंधन बना था ये गठबंधन बिहार में भाजपा को सत्ता से रोकने के लिए कांग्रेस और राजद ने जेडीयू के साथ मिलकर बनाया था। विधान सभा चुनाव में इस गठबंधन को अपार बहुमत मिला था। जिसके बाद मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी पर बैठे थे।
–:कब कब सहयोगियों के बीच बढ़ा टकराव:-
सर्जिकल स्ट्राइक पर केन्द्र सरकार की तारीफ करने पर सहयोगियों के निशाने पर आये
सत्ता में नीतीश कुमार दुबारा आये थे लेकिन इस बार सहयोगियों के चेहरे बदले हुए थे। सत्ता की शुरूआत करते हुए कई बार सहयोगियों के साथ नीतीश का रूख जुदा ही रहा। जब केन्द्र की मोदी सरकार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की तो कई विपक्षी दलों और महागठबंधन के दल कांग्रेस और राजद ने इस सर्जिकल स्ट्राइक पर सवालिया निशान लगाया था तो नीतीश कुमार ही थे उस मुद्दे पर राजनीति करने वाले दलों को नसीहत देते हुए कहा था कि राष्ट्र की रक्षा के लिए सरकार के कदम का सराहना करनी चाहिए इसका राजनीतिकरण गलत है।
नोटबंदी पर किया मोदी सरकार का खुलकर समर्थन तो सहयोगियों ने जताई आपत्ति
इसके बाद नीतीश कुमार ने फिर जब पूरा विपक्ष नोटबंदी को लेकर सरकार को सड़क से संसद तक घेरने में लगा था। लेकिन नीतीश कुमार ने पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था इसके साथ ही उन्होने कहा था कि कालेधन के साथ बेनामी संपत्तियों पर भी सरकार को एक्शन लेना चाहिए। इसके बाद कई मौकों पर वो पीएम मोदी के करीब होते दिखे थे। लगातार इस पर सहयोगियों ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। लेकिन नीतीश अपने फैसले पर अडिग ही रहे।