छपरा। छपरा के स्थानीय सदर बाजार में लगातार हो रही नवजात बच्चो की मौत से लोग का आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। लोगों के मुताबिक अस्पताल के स्पेशल न्यू बर्न केयर यूनिट में पिछले महिने हुई 56 नवजात शिशुओं की मौत के आकड़े में अक्टूबर में बढ़ोतरी हो गई है, अक्टूबर में 10 और शिशुओं की मौत हो गई है। लोगों ने बताया कि हम अपने बच्चों के इलाज के लिए हस्पताल पहुंचे थे,लेकिन हमें क्या पता था कि हस्पताल हमारे बच्चों के लिए मौत का घर बन जाएगा। बता दें कि हस्पताल में मौजूद ज्यादातर लोग आर्थिक रुप से कमजोर है ,जिसके कारण इनके बच्चों का इलाज हस्पताल में भगवान भरोसे है।
बच्चों की मौत को लेकर हस्पताल प्रबंधन का कहना है कि शिशुओं के इलाज में यहां किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाती। लेकिन अगर पीड़ित परिवारों की माने तो बच्चों के इलाज का जिम्मा सिर्फ नर्सों के ऊपर है उन्हें डॉक्टर देखने तक नहीं आते है। परिवार वालों ने बताया कि हस्पताल में मौजूद शिशु रोग विशेषज्ञ सिर्फ सप्ताह में दो बार ही हस्पताल में आते हैं, बाकि समय बच्चें सिर्फ नर्सो की देखरेख में ही रहते है।
इस मामले में उजागर होने के बाद छपरा के स्वास्थ विभाग की महिला अधिकारियों का कहना है कि हस्पताल में प्रसूती महिलाओं की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ होता है। उन्होंने बताया कि हस्पताल में न तो डॉक्टर समय पर आते है और न ही यहां दवाईयां उपल्बध है। बता दें कि गर्भवती महिलाओं ने हस्पताल द्वारा लापरवाही बरतने के चलते हस्पताल परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि हंगामा कर रही महिलाओं को अनुमंडल के पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने आक्रोशिक महिलाओ को शांत करवाया।
जबकि हंगामा करती महिलाओं ने ड्यूटी पर डॉक्टर के ना रहने, दवाओं का आभाव और नर्सो द्वारा पैसा लेने समेत अन्य समस्याओं से प्रशासन को अवगत कराया।
इस बीच ड्यूटी पर तैनात एएनएम प्रीटी कुमारी और प्रतिमा कुमारी ने भी कहा कि दस्ताना ना होने से इलाज़ के क्रम में जच्चा और बच्चा दोनों में संक्रमन का भय बना रहता है। अभी कुछ दिन पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ, परिवार कल्याण मंत्री ने जिले के स्वस्थ विभागों का औचक निराक्षण किया था और अनेकों दिशा निर्देश भी दिए थे पर कुछ भी सम्भव नहीं हुआ।