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खुली अदालत में होगी एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग रोकने पर सुनवाई

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग रोकने के लिए दायर केंद्र सरकार की याचिका को खुली अदालत में सुनवाई को तैयार हो गया है। आज केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इसे मेंशन किया और आज ही दो बजे सुनवाई की मांग की। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे।

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बता दें कि कल यानि 2 अप्रैल को केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल किया था। केंद्र सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद इस कानून का उद्देश्य ही कमजोर हो जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि अग्रिम जमानत के रास्ते खोलने से इसका अभियुक्त दुरुपयोग करेगा और पीड़ित को धमका सकता है और वो जांच को प्रभावित कर सकता है। केंद्र सरकार ने इस मामले पर खुली अदालत में बहस और सुनवाई की मांग की।

वहीं रिव्यू पिटीशन में केंद्र सरकार ने कहा है कि इस कानून में अभियुक्त को अग्रिम जमानत का हक न देने से धारा 21 में उसे मिले जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता है। एससी, एसटी कानून में ये 1973 में नये अधिकार के तौर पर जोड़ा गया था। सरकार ने कहा है कि अभियुक्त के अधिकारों के संरक्षण के साथ ही एससी, एसटी समुदाय को संविधान में मिले अधिकारों को संरक्षित करना भी महत्वपूर्ण है। याचिका में कहा गया है कि कानून का दुरुपयोग उसके प्रावधानों की दोबारा व्याख्या का न्यायोचित आधार नहीं हो सकता है।

साथ ही इससे पहले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोजपा ने भी रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। लोजपा के रिव्यू पिटीशन में इस मामले को संविधान बेंच भेजने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 20 मार्च को लोकसेवकों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि लोकसेवक को गिरफ्तार करने से पहले सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं है। निचली कोर्ट इस मामले में अग्रिम जमानत भी दे सकती है।

वहीं कल यानि 2 अप्रैल को ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ एससी, एसटी आर्गेनाईजेशन ने भी दायर किया था। याचिकाकर्ता ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए इस पर जल्द सुनवाई की मांग की। लेकिन कोर्ट ने इस पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया था।

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