featured देश

ऑक्सीजन विवाद: स्वास्थ्य मंत्रालय ने दाखिल किया सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, दिल्ली की अंतरिम रिपोर्ट पर विवाद

SUPREME COURT 2351 3118531f ऑक्सीजन विवाद: स्वास्थ्य मंत्रालय ने दाखिल किया सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, दिल्ली की अंतरिम रिपोर्ट पर विवाद

नई दिल्ली: देश में ऑक्सीजन उत्पादन और सप्लाई को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ही गठित 12 सदस्यीय टास्क फोर्स की सिफारिशें और सुझाव कोर्ट को बताए गए हैं। लेकिन हलफनामे के जिस हिस्से को लेकर सबसे ज्यादा विवाद दिल्ली के ऑक्सीजन ऑडिट के लिए बनी कमिटी की रिपोर्ट पर है।

8 मई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने देश मे ऑक्सीजन वितरण को बेहतर बनाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया था। तब कोरोना की दूसरी लहर का कहर बरपा रही था। पूरे देश में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा हुआ था। अब कोर्ट की तरफ से गठित टास्क फोर्स ने उस दौरान केंद्र की तरफ से उठाए गए कदमों की सराहना की है। कहा है कि जिस तरह से औद्योगिक ऑक्सीजन का इस्तेमाल बंद करवाया गया। स्टील उद्योग समेत दूसरे उत्पादकों के ज़रिए मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़वाया गया। वह संकट के समय उठाया गया सही कदम था।

टास्क फोर्स ने देश के 18 बड़े शहरों में ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने की सिफारिश की है। यह भी कहा है कि इन शहरों में 100 मीट्रिक टन का स्टोरेज होना चाहिए। इसके अलावा राज्यों की सामान्य ऑक्सीजन आवश्यकता का 20 प्रतिशत बफर स्टॉक रखने की भी सिफारिश टास्क फोर्स ने की है। इसका इस्तेमाल आपातकालीन जरूरत के समय किया जा सकेगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस हलफनामे में परिशिष्ट के तौर पर दिल्ली के ऑक्सीजन ऑडिट की अंतरिम रिपोर्ट भी लगाई है। 8 मई को ही कोर्ट ने इसके लिए एक कमिटी के गठन किया था। इसमें एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया, मैक्स हेल्थकेयर के संदीप बुद्धिराजा के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार के 1-1 वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शामिल थे।

रिपोर्ट के मुताबिक इस कमिटी को पेट्रोलियम एंड ऑक्सीजन सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन ने जानकारी दी कि दिल्ली के पास अतिरिक्त ऑक्सीजन उपलब्ध था। इसे दूसरे राज्यों को सप्लाई किया जा सकता था। दिल्ली को लगातार अधिक ऑक्सीजन देने से 11 दूसरे राज्यों पर असर पड़ सकता था, जहां कोरोना के मामले बहुत अधिक थे। हॉस्पिटल बेड कैपेसिटी के हिसाब से दिल्ली को 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत थी। लेकिन उसने 1140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तक की मांग की।

हालांकि, यह रिपोर्ट इस मायने में विरोधाभासी है कि जब दिल्ली की ऑक्सीजन मांग इतनी ही कम थी तो कमिटी ने बाद में इसे 700 से घटा कर 500 और फिर 400 मीट्रिक टन क्यों किया? सुप्रीम कोर्ट हॉस्पिटल बेड कैपेसिटी फॉर्मूले से ऑक्सीजन मांग के आकलन को गलत कह चुका है। लेकिन अंतरिम रिपोर्ट में मांग का आंकड़ा उसी आधार पर रखा गया है। इसके अलावा दिल्ली के सभी हस्पतालों का आंकड़ा भी इस रिपोर्ट में नहीं है। इन बिंदुओं पर बकायदा कमिटी के सामने दिल्ली सरकार ने आपत्ति जताई है। उस चिट्ठी को भी परिशिष्ट के तौर पर हलफनामे में लगाया गया है।

Related posts

मध्य रात्रि में महा रास कर भक्त को चिरकाल तक की शांति और सुख प्रदान करते हैं बाँके बिहारी

Rani Naqvi

आम्रपाली ग्रुप को एससी से झटका, विदेश जाने से लगी रोक

Pradeep sharma

पूछताछ करने के लिए JIT के सामने पेश होंगे नवाज शरीफ

Pradeep sharma