कुंवारी कन्याओं और महिलाओं के लिए हर तालिका तीज बेहद खास मानी जाती है। इस दिन पूजा और व्रत का बेहद महत्व माना जाता है। इस व्रत का साल भर इंतजार किया जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी इस वर्ष 21 अगस्त को हरतालिका तीज मनाई जाएगी। भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त।
प्रातःकाल मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 53 मिनट से सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक।
अवधि: 2 घंटे 36 मिनट।
हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक।
हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही हरतालिका तीज के दिन भी गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन है। इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं। यही नहीं, रात के समय महिलाएं जागरण करती हैं और अगले दिन सुबह विधिवत्त पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलती हैं।
हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है, जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। यह त्योहार मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को “गौरी हब्बा” के नाम से जाना जाता है। लेकिन इस बार जन्माष्टमी की ही तरह हरतालिका तीज की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है।
हरतालिका तीज का महत्व
चार तीजों में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका। हरत का मतलब है ‘अपहरण’ और आलिका यानी ‘सहेली’। प्राचीन मान्यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं ताकि उनके पिता भगवान विष्णु से उनका विवाह न करा पाएं। सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्था है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं, वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज का व्रत कैसे रखें..
हरतालिका तीज व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना जाता है। यह बेहद ही कठिन व्रत होता है। इसे दो प्रकार से किया जाता है। एक निर्जला और दूसरा फलहारी। निर्जला व्रत में पानी नहीं पीते हैं और न ही अन्न या फल ग्रहण करते हैं, वहीं फलाहारी व्रत रखने वाले लोग व्रत के दौरान जल पी सकते हैं और फल का सेवन करते हैं। जो कन्याएं निर्जला व्रत नहीं कर सकती हैं तो उनको फलाहारी व्रत करना चाहिए।
हरतालिका तीज पूजा विधि
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी 21 अगस्त के प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। उसके बाद पूजा स्थान की सफाई करें। अब हाथ में जल और पुष्प लेकर हरतालिका तीज व्रत का संकल्प करें। इसके पश्चात सुबह या प्रदोष के पूजा मुहूर्त का ध्यान रखकर पूजा करें।
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हरतालिका का व्रत रखने से कुंवारी कन्या और महिलाओं को बेद लाभ होता है और हर मनोकामना पूरी होती है।