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राधा अष्टमी कब मनाई जाएगी?, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त..

radha 1 राधा अष्टमी कब मनाई जाएगी?, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त..

भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद सभी भक्ततों को राधाष्टमी का इंतजार रहता है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा जन्माटमी को भी काफी धूम धाम से मनाया जाता है।

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आपको बता दें, राधा रानी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इसे राधाअष्टमी का त्योहार कहा जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद जन्माष्टमी की तरह राधाअष्टमी का त्योहार भी मथुरा, वृंदावन और बरसाने में बड़े जोर-शोर के साथ मनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार राधा रानी के पिता नाम वृषभानु और माता का नाम किर्ति था। राधा जी स्वंय लक्ष्मी जी का अंश थी। इस बार राधा अष्टमी का त्योहार 26 अगस्त को मनाया जाएगा। चलिए आपको इस खास पर्व से जुड़ी हुई हर एक जानकारी देते हैं।

राधा रानी के बिना कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गई है। जो लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं। उन्हें राधा रानी के जन्मोत्सव पर भी व्रत अवश्य रखना चाहिए। कहा जाता है कि राधाष्टमी के व्रत के बिना कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पूरा पुण्य प्राप्त नहीं होता है। राधाअष्टमी के दिन राधा और कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है। और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी भगवान कृष्ण और राधा रानी से मांगों वो सभी पूरा होता है।

राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 25 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है, जो 26 अगस्त दिन बुधवार को सुब​ह 10 बजकर 39 मिनट तक है। राधा जी का जन्म दोपहर में हुआ था, इसलिए दोपहर में ही पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है।
राधा रानी का जन्म मथुरा के रावल गांव में वृषभानु जी और माता कीर्ति के घर हुआ था। ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि राधा जी का भी जन्म उनकी मां के गर्भ से नहीं हुआ, बल्कि बाल कृष्ण जैसे ही वे भी प्रकट हुई थीं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राधा जी बाल श्रीकृष्ण से आयु में बड़ी थीं। राधा अष्टमी के व्रत को रखने से घर परिवार में सुख-समृद्धि और शांति रहती है तथा नि:संतानों को संतान सुख प्राप्त होता है। इसलिए लोग इस व्रत को जरूर रखते हैं।

राधा अष्टमी पर कैसे करें पूजा?
राधा अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नहाकर साफ वस्त्र धारण करें उसके बाद एक साफ चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर भगवान श्री कृष्ण और आराध्या देवी राधा जी की प्रतिमा स्थापित करें। साथ ही कलश भी स्थापित करें। पंचामृत से स्नान करवाकर सुंदर वस्त्र पहनाकर दोनों का श्रंगार करें। कलश पूजन के साथ राधा कृष्ण की पूजा भी करें। उन्हें फल-फूल और मिष्ठान अर्पित करें।  राधा कृष्ण के मंत्रो का जाप करें, कथा सुने, राधा कृष्ण की आरती अवश्य गाएं।

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इस तरह आप राधा अटमी का व्रत रखकर अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं।

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