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जानिए: क्या है दादी-पोती की इस वायरल तस्वीर का सच

दादी पोती की वायरल तस्वीर का पूरा सच जानिए: क्या है दादी-पोती की इस वायरल तस्वीर का सच

नई दिल्ली। कहते हैं एक तस्वीर हज़ार शब्दों से ज़्यादा कहानी बयान कर जाती है। एक ऐसी ही तस्वीर 20-21 अगस्त से सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इस तस्वीर को शेयर कर रहे लोगों ने इसके साथ लिखी बात को भी वायरल कर दिया है। पोस्ट की गई तस्वीर के साथ लिखा जा रहा है ”एक स्कूल ने अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए वृद्धाश्रम का टूर आयोजित किया। और इस लड़की ने अपनी दादी को वहां देखा। दरअसल, जब इस बच्ची ने अपने माता-पिता से दादी के बारे में पूछा था तो उसे बताया गया था कि वो अपने रिश्तेदार के यहां रहने गई हैं। ये किस तरह का समाज बना रहे हैं हम?’ देखते-देखते ये तस्वीर और संदेश वायरल हो गई। आम लोगों के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और क्रिकेटर हरभजन सिंह जैसे जाने-माने लोग भी अपने फ़ेसबुक और टि्वटर पर इसे साझा करने लगे।

 

दादी पोती की वायरल तस्वीर का पूरा सच जानिए: क्या है दादी-पोती की इस वायरल तस्वीर का सच

 

बता दें कि लेकिन क्या ये तस्वीर और साथ लिखी बात सच है? क्या ये तस्वीर हाल की है? इन सभी सवालों के जवाब गुजरात के वरिष्ठ फ़ोटो पत्रकार कल्पित भचेच ने बीबीसी गुजराती को दिए। ये तस्वीर कल्पित ने क़रीब 11 साल पहले साल 2007 में खींची थी। ख़ुद कल्पित ने इस तस्वीर और इसके पीछे की पूरी घटना बताई है। पत्रकारिता में किस-किस तरह के संयोग बन जाते हैं, ये कहानी इसी के बारे में है। वो दिन 12 सितंबर, 2007 था। मेरे जन्मदिन से एक दिन पहले। मैं सवेरे नौ बजे घर से निकला। उस दिन पत्नी ने बोला था कि रात को समय से घर आ जाना क्योंकि कल आपका जन्मदिन है और रात 12 बजे केक काटेंगे।

वहीं मैं काफ़ी खुश होकर घर से निकला। कुछ ही देर में मेरे मोबाइल पर अहमदाबाद के मणिनगर के जीएनसी स्कूल से कॉल आया। कॉल स्कूल की प्रिंसिपल रीटा बहन पंड्या का था। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों के साथ वो लोग वृद्धाश्रम जा रहे हैं और क्या मैं इस दौरे को कवर करने के लिए आ सकता हूं। मैं तैयार हो गया और वहां से घोड़ासर के मणिलाल गांधी वृद्धाश्रम पहुंचा। एक तरफ़ बच्चे बैठे थे और दूसरी तरफ़ वृद्ध लोग थे। जैसे ही बच्चे खड़े हुए, एक स्कूली बच्ची वहां मौजूद एक वृद्ध महिला की तरफ़ देखकर फूट-फूट कर रोने लगी। हैरानी की बात ये थी कि सामने बैठी वृद्धा भी उस बच्ची को देखकर रोने लगी और तभी बच्ची दौड़कर वृद्ध महिला के गले लग गई और ये देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए।

मैंने उसी वक़्त ये तस्वीर अपने कैमरे में कैद कर ली और फिर जाकर महिला से पूछा तो रोते हुए उन्होंने जवाब दिया कि वो दोनों दादी-पोती हैं। बच्ची ने भी रोते हुए बताया कि ये महिला उसकी बा हैं। गुजराती में दादी को बा बोला जाता है। बच्ची ने ये भी बताया कि दादी के बिना उसकी ज़िंदगी काफ़ी सूनी हो गई थी और ये भी बताया कि बच्ची के पिता ने उसे बताया था कि उसकी दादी रिश्तेदारों से मिलने गई है। लेकिन जब वो वृद्धाश्रम पहुंची तो पता चला कि असल में दादी कहां गई थी। दादी और पोती का वो मिलन देखकर मेरे साथ खड़े और लोगों की आंखें भी नम हो गईं।

उस माहौल को हल्का बनाने के लिए कुछ बच्चों ने भजन गाने शुरू किए। उस वक़्त पूरे गुजरात में इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई। इस तस्वीर ने कई लोगों को हिलाकर रख दिया। मेरे तीस साल के करियर में पहली बार ऐसा हुआ कि मेरी कोई तस्वीर मीडिया में छपने के दिन मुझे एक हज़ार से ज़्यादा लोगों ने फ़ोन किए। उस समय पूरे राज्य में इसी तस्वीर पर चर्चा हो रही थी। लेकिन जब दूसरे दिन मैं दूसरे मीडियाकर्मियों के साथ इस वृद्ध महिला का इंटरव्यू लेने पहुंचा तो उन्होंने कहा कि वो अपनी मर्ज़ी से वृद्धाश्रम आई हैं और मर्ज़ी से वहां रह रही हैं।

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