संसद में मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही सरकार और विपक्ष ने आतंकवाद और चीन के साथ चल रहे विवाद पर कंधे से कंधा मिलाया है। सरकार ने मानसून सत्र शुरू होने से पहले ही डोकलाम को लेकर चीन के साथ चल रहे विवाद और जम्मू कश्मीर के मुद्दे को लेकर एक सुर में आवाज उठाई है। पीएम मोदी ने इसकी पहल करते हुए सरकार और सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई। बैठक में पीएम मोदी ने सरकार समेत सभी विपक्षी दलों को चीन और अमरनाथ यात्रियों पर हमले के मुद्दे पर विस्तृत से जानकारी दी। जिसके बाद फैसला यह आया है कि सीमा पर चल रहे विवाद को लेकर विपक्ष पूरी तरह से सरकार का सहयोग करेगी।
यह बैठक गृह मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर हुई है। जिसमें रक्ष मंत्री, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, डीएमके, एआईडीएमके, तृणमूल कांग्रेस, समेत कई नेता बड़े नेता शामिल हुए। यह बैठक तीन घंटे से ज्यादा चली। जिसमें गृह सचिव ने अमरनाथ यात्रियों पर हमले के बारे में प्रेजेंटेशन दी। इसमें यह बताया गया था कि हमला किन परिस्थितियों और किस तरह से हुआ है। संबंधित मामले में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस हमले की कश्मीर में रह रहे सभी लोगों ने निंदा की है। साथ ही उन्होंने कहा है कि सरकार को इस मामले में बातचीत के माध्यम से सुलझाना चाहिए।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि गोली-बंदूक से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं निकाला जाता है, सरकार को बातचीत के माध्यम से इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। इसके बाद विदेश सचिव एस जयशंकर ने चीन मुद्दे पर प्रेजेंटेशन दी और इस मुद्दे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चीन की घुसपैठ भारत की लिए एक खतरा साबित हो सकता है। सरकार के मंत्रियों ने विपक्षी नेताओं को चीनी घुसपैठ के खिलाफ भारतीय सेना की रणनीति के बारे में संक्षेप में जानकारी दी। इस दौरान विपक्षी नेताओं ने सरकार से कहा है कि सीमा सुरक्षा को लेकर उठाए जा रहे कदमों को लेकर विपक्ष पूरी तरह से सरकार के साथ है।