श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को कहा कि हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को ‘एक मौका’ जरूर दिया जाता यदि सुरक्षा बलों को पता होता कि वह दक्षिण कश्मीर के ठिकाने में छिपा हुआ है। दक्षिणी कश्मीर में आतंकवादियों के छिपे होने के संदेह में सुरक्षा बलों ने आठ जुलाई को सैन्य कार्यवाही में बुरहान वानी और उसके दो साथियों को मार गिराया। इसके बाद से कश्मीर घाटी में हिंसक विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है।
सुरक्षा बलों की इस विवादित कार्यवाही पर मुख्यमंत्री महबूबा ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों ने उन्हें बताया था कि दक्षिणी कश्मीर के काकरनाग इलाके में एक घर में ‘तीन आतंकवादी छिपे हुए हैं’ लेकिन ‘उन्हें नहीं पता था कि आतंकवादी कौन हैं’।
मुख्यमंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हमें किसी मुठभेड़ के बारे में भला कैसे पता हो सकता है? मैं भला क्या कह सकती हूं? मुझे विश्वास है कि यदि उन्हें पता होता कि बुरहान वहां है तो उसे एक मौका जरूर दिया गया होता, क्योंकि कश्मीर में परिस्थितियां तेजी से बदल रही थीं।”
शायद वह यह कहना चाह रही थीं कि कश्मीर में विद्रोह का चेहरा बन चुके और कश्मीरी युवाओं में लोकप्रिय वानी की मौजूदगी का अगर पहले से पता होता तो शायद उसकी मौत के बाद जो कुछ हुआ उससे बचने के लिए पर्याप्त उपाय अपनाए गए होते।
महबूबा ने कहा कि कश्मीर घाटी में हालात बेहद तेजी से बदले और राज्य सरकार को व्यापक हिंसा की रोकथाम की तैयारी के लिए पर्याप्त समय भी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि नौ फरवरी, 2013 को नई दिल्ली में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पास सुरक्षा तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिला था।
कश्मीर घाटी में वानी की मौत के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शनों का भीषण दौर जारी है, जिसमें अब तक 50 नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग घायल हुए हैं। पीडपी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद मुजफ्फर बेग ने इससे पहले अपने उस बयान से विवाद खड़ा कर दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुरक्षा बलों ने आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लंघन किया। बेग ने कहा कि वानी को समर्पण करने का मौका नहीं दिया गया और पुलिस तथा सेना के संयुक्त अभियान में उसे मार गिराया गया।