देहरादून। उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग और प्रदेश सरकार निकाय चुनाव को लेकर आमने सामने आ गई है। इसको लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त सुबर्द्धन ने एक प्रेस वार्ता के दौरान स्पष्ट करते हुए प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सरकार पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही निकाय चुनाव में सरकार की ओर से हो रही हीलाहवाली को लेकर सरकार की कार्य प्रणाली पर जमकर बरसे।
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने साफतौर पर कहा कि सरकार की ओर से आपेक्षित सहयोग ना मिलना दुखद है। ऐसे में आयोग अब हाईकोर्ट की शरण में जाने को विवश हो चुका है। उन्होने साफतौर पर कहा कि इस मामले को लेकर हम सीएम से मिलने का प्रयास जुलाई से कर रहे हैं। इस संदर्भ में राज्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि सचिव राधिका झा और पीएस सुरेश जोशी से इस बारे में कई बार समय लेने के लिए बात की लेकिन कोई सार्थक जबाब नहीं आया।
राज्य चुनाव आयुक्त का कहना था कि हम ईवीएम मशीनों से चुनाव कराना चाहते थे। लेकतिन सरकार ने इस बारे में बजट की अनुपलब्धता जताई। इसके साथ ही राज्य चुनाव आयोग ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमने चुनाव के लिए जो राज्य कर्मी मांगे थे। सरकार ने उनकी संख्या में भी कमी कर दी। चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का काम शुरू किया तो राज्य सरकार ने अडंगा लगाने के लिए सीमा विस्तार का काम शुरू कर दिया है।
ऐसे में राज्य सरकार का रवैया चुनाव समय पर ना कराने और अपना प्रशासक निकाय स्तर पर लाने की योजना है। इन बातों को लेकर अब चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट का रूख किया है। जहां पर मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट नैनीताल ने अगली तारीख 11 अप्रैल दे दी है। ऐसे में साफ है कि अब तारीखों का ऐलान होना 11 तक संभव नहीं है। हांलाकि इस मामले में राज्य सरकार के प्रवक्ता और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक एक प्रेस वार्ता कर अपनी सफाई देने वाले हैं।