नई दिल्ली। बिहार में नीतीश सरकार उन परिवारों के लिए खुशखबरी लेकर आई है जिनका परंपरागत पेशा ग्रामीण इलाक़ों में देशी शराब या ताड़ी बेच कर आजीविका कमाना रहा है। प्रदेश की नीतीश सरकार की ओर से सरकार ने अगले तीन वर्षों में उनके लिए वैकल्पिक रोज़गार पर 740 करोड़ ख़र्च करने की एक योजना को मंज़ूरी दी है।
बता दे कि ये प्रस्ताव राज्य कैबिनेट में पारित हुआ है जिसके अनुसार करीब एक लाख परिवार, जिन्हें चिन्हित करने का काम अंतिम चरणो में हैं, उन्हें वैकल्पिक रोज़गार के लिये सरकार द्वारा ऋण की व्यवस्था की जायेगी। इसके तहत उन्हें गाय पालन या मुर्ग़ी पालन जैसे तुरंत शुरू होने वाले काम के लिए पैसे दिये जायेंगे।
बता दे कि प्रदेश सरकार की ओर से ये योजना इसलिए चलाई जा रही है क्योकि भले राज्य में शराबबंदी हो गई हो, लेकिन ग्रामीण इलाक़ों में देशी या महुआ से शराब बनाने वाले अभी भी इसी धंधे में लगे हुए हैं। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा ताड़ी का धंधा करने वाले पासी समुदाय के लोगों के लिए नीरा बनाने का ऐलान किया गया, लेकिन इसका अभी तक बहुत व्यापक असर देखने को नहीं मिला है।
बता दे कि इस योजना के तहत एक परिवार को साठ हज़ार से एक लाख तक की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है। आपको बता दें कि नीतीश सरकार की ओर से शराबबंदी कर दी गई है लेकिन कई जगहों पर ये विफल साबित हो रही है जिसका बड़ा कारण इस योजना के पीछे एक बड़ा कारण माना जा रहा है।