कोलकाता। शनिवार को पश्चिम बंगाल में भड़की हुई हिंसा के तीसरे दिन भी मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा अब अपना अलग गोरखालैंड बनाने की मांग पर अड़ा हुआ है। अपने अलग राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन काफी उग्र होता जा रहा है। ऐसे में इस समस्या का सामाधान निकालने के लिए एक बैठक का गठन किया गया। शुक्रवार को बंगाल सरकार तथा पहाड़ियों के बीच लड़ाई अपनी चरम सीमा तक जा चुकी थी। ऐसे में अब लगने लग गया है कि बंगाल में पहाड़ी इलाकों का सामाधान निकालना अब जरूरी होता जा रहा है नहीं तो अब और भी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
साल 2008 में घीसिंग को स्थानीय लोगों द्वारा नेपाली आस्मिता पर प्रभाव डालने के चक्कर में उन्हें भागना पड़ा था। पहाड़ी क्षेत्र में इसकी शुरूआत साल 1989- 88 में हुई थी। करीब 28 महीने चली इस लड़ाई को नेपाली पहाड़ियों का ‘भाईमारा लड़ाई’ के नाम से पहचान दी गई थी। इस लड़ाई में सैकड़ों लोगों के घरों को जला कर राख कर दिया गया था और कई हजार लोगों को टाडा लगाकर जेल भेजा गया था।
ममता बनर्जी ने भाषाई और क्षेत्रीय अस्मिता के सवालों पर अब एक अलग ही रुख अपना लिया है। ममचा बनर्जी की कैबिनेट की बैठक के दौरान ही आंदोलनकारियों ने कई गाड़ियों में तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी थी। जिससे पर्यटकों की परेशानियां और भी ज्यादा बढ़ गई। ऐसे में ममता बनर्जी की तरफ से एक बयान सामने आया था। अपने बयान में उन्होंने कहा था की पर्यटकों को सुरक्षित बाहन निकालने के लिए कई सारे इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने कहा था कि पर्यटकों की सुरक्षा के लिए उन्होंने खास बसों का इंतजाम किया गया है। इन बसों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस को दी गई है।
आपको बता दें कि जीजेएम केप्रमुक खुद को पहाड़ी लोगों का मुख्यमंत्री साबित करने में लगे हुए हैं। उनके अनुसार पहाड़ी इलाकों के वह मुख्यमंत्री है। जीजेएम के प्रमुख गुरुंग का कहना है कि ममती बनर्जी हमें अपनी ताकत का धौंस दिखाने में लगी हुई हैं लेकिन उन्हें यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए की वे गोरखलैंड टेरिटोरिय एडमिनिस्ट्रेशन का सदस्य और पहाड़ी इलाकों का सीएम हैं।