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केंद्र सरकार की MSP बढ़ोतरी को किसानों ने ठुकराया, लागत से कम बताय गेंहू का दाम

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तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ोतरी को सिरे से खारिज कर दिया है। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा बढ़ाया गया एमएसपी फसलों के लागत मूल्य से बेहद कम है। इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होने वाला। किसानों ने गेहूं पर 2800 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से एमएसपी निर्धारित करने की मांग की है। इतना ही नहीं हरियाणा सरकार द्वारा फसलों पर जारी किए गए एमएसपी को भी आंदोलनकारी किसानों ने ऊंट के मुंह में जीरा करार दिया है।

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किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार ने जिस तरीके से गेहूं, सरसों और अन्य फसलों पर एमएसपी निर्धारित किया है। वह ठीक तो है लेकिन फसलों के लागत मूल्य से बेहद कम होने के कारण संयुक्त मोर्चा इसे नकार रहा है। डीजल और डीएपी खाद के दामों में लगातार वृद्धि होने से फसल का लागत मूल्य साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा जो एमएसपी बढ़ाई गई है वह लागत मूल्य के मुकाबले बेहद कम है। अगर इस एमएसपी बढ़ोतरी को महंगाई दर से कंपेयर किया जाए तो भी यह बहुत कम है। वहीं हरियाणा सरकार द्वारा गन्ने के दामों में बढ़ोतरी करने पर किसानों का कहना है कि यह सही है। जहां एक तरफ पंजाब के किसानों को 200 करोड़ रुपए बकाया लेने के लिए प्रदर्शन करने पड़े।

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वहीं हरियाणा में यह बढ़ोतरी काफी अच्छी है । लेकिन इसे और भी बढ़ाया जाना चाहिए। इतना ही नहीं किसानों ने एक बार फिर से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है। अब किसान 27 सितंबर को भारत बंद करने जा रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि पिछले साल भी उन्होंने भारत बंद किया था। जिसका असर देश के 22 राज्यों में देखने को मिला था और अब एक बार फिर से किसान संगठनों की ओर से 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है। जिसमें ट्रेड यूनियने भी किसानों का साथ देंगी। किसान नेताओं का कहना है कि 27 सितंबर को देश भर में सरकार के खिलाफ कर्फ्यू जैसा माहौल देखने को मिल सकता है।

Kisan Bill News:
Kisan Bill

वहीं इस दिन किसान राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे मार्ग को पूरी तरह से बंद रखने जा रहे हैं। हम आपको बता दें कि पिछले साढ़े 9 महीने से किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। सड़क मोर्चे पर बैठकर सरकार से तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी पर नया कानून लाने की मांग की जा रही है। लेकिन सरकार और किसानों के बीच बातचीत का डेडलॉक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। लेकिन अब देखना यह होगा की आंदोलन कर रहे किसान अपनी मांगे मनवाने में कामयाब हो पाते हैं या फिर सरकार की हठ ज्यों की त्यों जारी रहेगी।

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