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9 जनवरी को साल की पहली एकादशी, जानें इसका महत्व और शुभ मुहूर्त

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एकादशी स्पेशल। सनातम धर्म के अनुसार हर दिन का हमारे दैनिक जीवन में अलग ही महत्व होता है। प्रत्येक दिन हमारे लिए विशेष होता है। इसके साथ ही हर हम एकादशी की बात करें तो साल में आने वाली सभी एकादशी अपना अलग प्रभाव दिखाती हैं। इसी बीच हिंदू पंचाग के अनुसार कल यानि 9 जनवरी को साल की पहली एकादशी है। जिसे सफला एकादशी कहते हैं। क्योंकि यह एकादशी पौष मास कृष्ण पक्ष में आती है। इस दिन सृष्टि के रचयिता भगवान व‍िष्‍णु की पूजा का विधान है। मान्‍यता है कि इस दिन व्रत करने से समस्‍त कार्यों में सफलता मिलती है।

ये है सफला एकादशी का शुभ मुहूर्त-

बता दें कि इस बार साल की पहली एकादशी का शुभ मुहूर्त 8 जनवरी 2021 की रात 9 बजकर 40 मिनट से प्रारंभ होकर 9 जनवरी 2021 को शाम 7 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। सफला एकादशी की तिथि 9 जनवरी है। इसके साथ ही हिन्‍दू धर्म में सफला एकादशी का बड़ा महात्‍व है और एक साल में दो सफला एकादशी मनाई जाती हैं। इस एकादशी की महत्ता ब्रहमांड पुराण में भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। पौराणिक मान्‍यता है कि सफला एकादशी का व्रत रखने से व्‍यक्ति के सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं। लोग कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से अगले जन्म का रास्ता साफ होता है और जीवन में खुशियां आती हैं। इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा का विधान है। मान्‍यता है कि इस व्रत को रखने से भक्‍त को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके साथ यह भी कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सफला एकादशी पर इस विधि से करें पूजा-

– अगर आप एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो दशमी यानी कि एक दिन पहले से ही व्रत के  नियमों का पालन करें।
– व्रत के दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।
– एकादशी का व्रत निर्जला होता है।
– अब घर के मंदिर में विष्‍णु की प्रतिमा स्‍थापित करें।
– विष्‍णु की प्रतिमा को तुलसी दल, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें।
– अब विष्‍णु जी की आरती उतारें और घर के सभी सदस्‍यों में प्रसाद वितरित करें।
– रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए।
– अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें।
– इसके बाद अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।

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