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प्राकृति की तरफ बढ़ रहा एक और खतरा, अचानक गुलाबी हुआ लोनार झील का पानी, वैज्ञानिक भी हैरान

maharashtra प्राकृति की तरफ बढ़ रहा एक और खतरा, अचानक गुलाबी हुआ लोनार झील का पानी, वैज्ञानिक भी हैरान

प्राकृति में आए दिन एक नई आपदा जन्म ले रही है। पहले कोरोना महामारी फिर टिड्डियों का कहर उसके बाद आए दिन आने वाले भूकंप उसके बाद तूफान का कहर एक के बाद एक आपदा आ रही है।

नई दिल्ली। प्राकृति में आए दिन एक नई आपदा जन्म ले रही है। पहले कोरोना महामारी फिर टिड्डियों का कहर उसके बाद आए दिन आने वाले भूकंप उसके बाद तूफान का कहर एक के बाद एक आपदा आ रही है। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र में निसर्ग तूफान आया था जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी। महाराष्ट्र से एक और चौकाने वाली खबर आ रही है। महाराष्ट्र की लोनार झील के पानी का रंग रातों रात बदलकर गुलाबी हो गया है। इस बात को लेकर वैज्ञानिक भी हैरान है। एक तरफ वैज्ञानिक विशेषज्ञयों का कहना है कि इसकी वजह लवणता और जलाशय में शैवाल की मौजूदगी को मान रहे हैं।

बता दें कि लोनार झील मुंबई से 500 किलोमीटर दूर बुलढाणा जिले में है। यह पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। माना जाता है कि इस झील का निर्माण करीब 50,000 साल पहले धरती से उल्कापिंड के टकराने से हुआ था। दुनियाभर के वैज्ञानिकों की भी इस झील में बहुत दिलचस्पी है। करीब 1.2 किलोमीटर के व्यास वाली झील के पानी की रंगत बदलने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रकृतिविद और वैज्ञानिक भी हैरान हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब झील के पानी का रंग बदला है, लेकिन इस बार यह एकदम साफ नजर आ रहा है।

लोनार झील संरक्षण एवं विकास समिति के सदस्य गजानन खराट ने बताया कि यह झील अधिसूचित राष्ट्रीय भौगोलिक धरोहर स्मारक है। इसका पानी खारा है और इसका पीएच स्तर 10.5 है। उन्होंने कहा कि ‘जलाशय में शैवाल है। पानी के रंग बदलने की वजह लवणता और शैवाल हो सकते हैं।’

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वहीं खराट ने बताया कि ‘पानी की सतह से एक मीटर नीचे ऑक्सीजन नहीं है। ईरान की एक झील का पानी भी लवणता के कारण लाल रंग का हो गया था। उन्होंने बताया कि लोनार झील में जल का स्तर अभी कम है क्योंकि बारिश नहीं होने से इसमें ताजा पानी नहीं भरा है। जलस्तर कम होने के कारण खारापन बढ़ा होगा और शैवाल की प्रकृति भी बदली होगी।

साथ ही औरंगाबाद के डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख डॉ. मदन सूर्यवंशी ने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर पानी का रंग बदला है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें मानवीय दखल का मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘पानी में मौसम के मुताबिक बदलाव आता है और लोनार झील में भी मामला यही हो सकता है। अगर हम एक हफ्ते में वहां जा सकते हैं तो बदलाव की जांच कर पाएंगे। तभी इसके बारे में कुछ और बता सकेंगे।

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