2 जून को पूरे देशभर में निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। निर्जला एकदशी पर व्रत रखने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस एकादशी को भीम सैनी एकादशी भी कहा जाता है। महीने में जो एकादशी व्रत होते हैं। ये पूर्णिमा से पहले वाली एकादशी है। इस दिन व्रत रखने वाला सूर्योदय से सूर्योदय तक पानी नहीं पीता है। कहते हैं कि पानी पीने से व्रत टूट जाता है। इस बार यह एकादशी 2 जून को मनाई जा रही है।
आपको बता दें कि इस दिन श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु को यह व्रत सबसे ज्यादा प्रिय है। इस व्रत में बहुत गर्मी के बीच पानी नहीं पीने के कारण कठिन व्रत माना जाता है।
इस दिन भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करना बहुत शुभ होता है। व्रत के नियम एक दिन पहले गंगा दशहरा से ही शुरू हो जाते हैं। इस दिन भी गंगा दशहरा की ही तरह दान करना बहुत शुभ माना जाता है। कोशिश करें इस दिन गरीबों और ब्रह्मणों को कपड़े, छाता, जूता, फल, मटका, पंखा, शर्बत, पानी, चीनी आदि का दान करना चाहिए।
इस दिन भी किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं तो ठीक, नहीं तो घर में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा करें। पितरों के लिए तर्पण करें। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के कपड़े, फल और अन्न अर्पित करना चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा के उपरांत इस चीजों को किसी ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत को सर्वाधिक फलदायी और सबसे कठिन व्रत भी माना गया है। इस व्रत को जो भी रखता है उसकी हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है।
व्रत का ऐसा करें पालन
निर्जला एकादशी का व्रत बिना जल ग्रहण किए हुए पूर्ण किया जाता है. व्रत के दौरान जल ग्रहण नहीं किया जाता है। जल के साथ साथ अन्न भी ग्रहण नहीं किया जाता है। इस व्रत में कठोर नियमों का भी पालन करना होता है।
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इस बार यह एकादशी 2 जून मंगलवार को है। आइए जानते हैं क्यों कहते हैं इसे भीमसेन एकादशी और क्या है व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त-महत्व?निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त और विधिनिर्जला एकादशी 1 जून को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से आरंभ होकर 2 जून को 12 बजकर 04 मिनट पर समाप्त हो रहा है। इसलिए व्रती इस दिन भगवान श्रीविष्णु की पूजा दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक कर सकते हैं।निर्जला एकादशी का व्रत रखकर आप समस्याओं से राहत पा सकते हैं।