लखनऊ: कोरोना महामारी के दौरान रोजगार और उद्योगों पर काफी प्रभाव पड़ा है। MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग) सेक्टर को भी कोरोना काल में काफी मुसीबतें झेलनी पड़ी हैं। अब ऐसे में एमएसएमई इंडस्ट्री की क्या स्थिति है, कोरोना काल में वह फिर से कैसे खड़ा होगा, एमएसएमई को बढ़ावा कैसे मिल सकता है और सरकार को एमएसएमई उद्यमियों के लिए क्या कदम उठाने चाहिए, इस विषय पर भारत खबर के संवाददाता शैलेंद्र सिंह ने एमएसएमई से जुड़े उद्यमियों से खास बातचीत की और उनकी राय जानी।
रॉ मैटेरियल के बढ़े दाम पर लगे अंकुश: अभिजीत उपाध्याय
अभिजीत उपाध्याय (Chapter Chairman, Indian Industries Association, Gorakhpur) बताते हैं कि, कोविड-19 की स्थिति में एमएसएमई सेक्टर के लिए बहुत सारी परेशानियां सामने आईं। प्रोडक्ट की डिमांड कम है, सब लोग कोरोना की वजह से डरे हुए हैं, कि हम कोई प्रोडक्ट बनाएं, लेकिन उसकी सेल न हो तो ऐसे में लॉस ही होगा। इसके अलावा एमएसएमई सेक्टर के लिए रॉ मैटेरियल बहुत कम हो गया, जिसकी वजह से परचेसिंग बढ़ने से उसके दामों में भी बहुत उछाल गया, लेकिन सेल कुछ हो नहीं रही है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि रॉ मैटेरियल के रेट पर थोड़ा अंकुश लगाया जाए क्योंकि एमएसएमई सेक्टर के पास रॉ मैटेरियल भी कम है और ऐसे में दाम भी उसके बढ़े रहेंगे तो फिर लोगों के लिए रॉ मैटेरियल खरीदकर अपना व्यापार चलाना आसान नहीं रहेगा। साथ ही हम लोगों के बिजली के बिल पर इंटरेस्ट कम कर देना चाहिए। बैकों को लोन पर इंटरेस्ट कम करना चाहिए। टैक्स, जीएसटी में भी रिलैक्सेशन देना चाहिए, जिससे एमएसएमई सेक्टर का उद्यमी खुद को मजबूत कर सके। हालांकि, हम लोग सरकार के साथ ही हैं लेकिन अगर सरकार हमारी इस तरह से मदद करे तो हमें और मजबूत होने में आसानी रहेगी।
रनिंग यूनिट को सपोर्ट करे सरकार: मोहन बंसल
मोहन बंसल (Chapter Chairman, Indian Industries Association, Unnao) ने कहा कि, कोरना काल में सारी इंडस्ट्री को दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। लोगों को अभी भी घर से बाहर निकलने में डर लग रहा है। एमएसएमई को फिर से खड़ा करने के लिए सरकार के सपोर्ट की जरूरत है। कोरोना काल में करीब-करीब 60 से 70 पर्सेंट लोगों को नुकसान हुआ है। लोग तीसरी लहर से वैसे भी डरे हुए हैं और अगर हालात ऐसे ही रहे तो तीसरी लहर में छोटे उद्मियों का 40 से 50 परसेंट यूनिट खत्म हो जाएगा। बड़े सेक्टर को तो बैंकों से मदद मिल जाएगी लेकिन छोटे सेक्टर को परेशानियां झेलनी होंगी। ऐसे में सरकार को एमएसएमई से जुड़े उद्योगों की मदद करनी चाहिए। सरकार की नई स्कीम से जो नए लोग एमएसएमई से जुड़ रहे हैं उनके लिए मदद रहेगी, लेकिन जो पुराने हैं उनको भी देखना चाहिए। सरकार को चाहिए कि जो रनिंग यूनिट हैं, उनको लोन दिया जाना चाहिए और सरकार जब रनिंग यूनिट को सपोर्ट करेगी तो एमएसएमई को भी बड़ा सपोर्ट मिलेगा।
इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों पर दें ध्यान: ललित जैन
ललित जैन (Chapter Chairman, Indian Industries Association, Bagpat) कहते हैं कि, कोरोना काल में एमएसएमई सेक्टर को दिक्कतें हुईं, लेकिन इंडस्ट्री को इतना दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा। खासकर उन्हें जो कोरोना काल में भी उन चीजों का प्रोडक्शन करते रहे हैं, जो हालातों के हिसाब से जरूरत की थीं। हालांकि, अगर बात बागपत की करें तो यहां इंडस्ट्रियल एरिया के लिए सड़कों की बहुत परेशानी है। सड़कें खराब होने की वजह से यहां इंपोर्ट-एक्सपोर्ट में काफी दिक्कतें होती हैं। हम सरकार से यही चाहते हैं कि यहां की इंडस्ट्रियल एरिया की सड़कों पर भी ध्यान दिया जाए।
एमएसएमई सेक्टर को लगा फाइनेंसियली झटका: अंकुर गर्ग
अंकुर गर्ग (Chapter Chairman, Indian Industries Association, Deoband) कहते हैं कि, कोरोना काल की स्थिति में फैक्ट्रियां पूरी तरह से चल नहीं पाईं। लेबर, स्टाफ नहीं आ पाए, ऊपर से खर्चे जैसे के तैसे रहे। बिजली के बिल में राहत नहीं मिली क्योंकि फैक्ट्रियां बंद रहीं, लेकिन मीटर चलता रहा। जो बैंक के इंटरेस्ट हैं उसमें भी कोई छूट नहीं मिली। एमएसएमई सेक्टर को प्रोडक्ट्स को लेकर नुकसान तो हुआ ही फाइनेंसियली भी दिक्कतें हुईं और इसमें सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिली। एमएसएमई सेक्टर को दोबारा खड़ा करने के लिए सरकार को बिजली के बिल में राहत देनी चाहिए और हर फैक्ट्री वाले की जो बैंक के लिमिटें हैं, उनके इंटरेस्ट में कुछ छूट देनी चाहिए।