उत्तराखंड त्रासदी के आज (16जून) को पांच साल पूरे हो गए हैं लेकिन जब केदारनाथ घटी की जल प्रलय ने 2013 में जो तांडव किया उसकी तस्वीरों को देख कर हर एक शख्स चकित हो जाता है। भले ही आज वहां का नजारा सामान्य हो लेकिन कुछ स्थानों पर कुदरत की आफत के जख्म वहां मौजुद निशानों में देखे जा सकते हैं जिनकों हम तस्वारों में पिरोकर यहां दिखा रहे है।
प्रलय में हजारों लेगों की मौत हुई थी
केदारनाथ समेत कई स्थानों को प्रलय से हताहत इन तस्वीरों आपको 5 साल पुराना खोंपनाक मंजर दिखा रहे हैं। इस शहर में कुदरत ने अपनी विनाशक कर्वाई में कई श्रृद्धालुओं की जान ली और कई लोगों की मौत का आज भी रहस्य बना है।
7 साल तक किसी भी सख्स को मृत घोषित नहीं कर सकते बगैर शव मिले
लापता लोगों को राज्य सरकार ने अभी मृत घोषित नहीं किया है। क्योंकि 7 साल तक किसी भी सख्स को मृत घोषित नहीं कर सकते बगैर शव मिले। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी 4 हजार लोग लापता हैं।
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मंदिर गर्भगृह को नहीं कुदरत ने हिला भी नहीं पाया था
केदारनाथ त्रासदी में चमत्कारिक करिश्मा ये रहा कि मंदिर गर्भगृह को इस को कोई नुकसान नहीं हुआ। और वहां का सब कुछ तहस-नहस हो गया। आपको बता दें कि मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा था कि इस पवित्र धाम को नए सिरे से स्थापित करने में दो से तीन वर्ष का समय लग जाएगा।
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प्रलय में सबसे अधिक नुकसान केदारनाथ में ही हुआ था
गौरतलब है कि प्रलय में सबसे अधिक नुकसान केदारनाथ में ही हुआ था। लेकिन मंदिर के भीतर कोई नुकसान नहीं हुआ था। लिंग को कुदरत ने एकदम जस का तस रखा। मंदिर में बाहर का रेत और मलवा जमा होने हुआ था लेकिन किसी तरह का स्थाई नुकसान नही हुआ था।
महेश कुमार यदुवंशी