नई दिल्ली। राजनीति में आरोपों का सिलसिला तो लगातार ही चलता रहता है। जो भी पार्टी सत्ता में होती है वह अपने आप को पूरे भारत की बादशाह समझ लेती है। सरकार जैसे चाहे कर सकती हैं उसे कोई रोकने वाला नहीं होता है। बीजेपी इस समय सत्ता का सुख भोग रही है। जिसके चलते भाजपा पार्टी के नेता अपने बेतुके बयान देने में पीछे नहीं हट रहे हैं। इसी बीच कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री और बीजेपी नेता केएस ईश्वरप्पा ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) किसी मुसलमान को टिकट नहीं देगी। हिंदुओं में किसी भी जाति का हो, बीजेपी उसे टिकट दे देगी। वहीं अब उनके इस बयान को असदुद्दीन ओवैसी ने शर्मनाक बताया है।
जानें केएस ईश्वरप्पा ने क्यों दिया विवादित बयान-
बता दें कि राजनीति में आरोपो और प्रत्यारोप की कहानी तो चलती ही रहती है। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि इस दिनों ये सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। इस मुख्य कारण कहीं नगर पालिका का चुनाव होना तो नहीं है। क्योंकि देश के अलग-अलग शहरों में चुनाव चल रहे हैं। इसी बीच कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री और बीजेपी नेता केएस ईश्वरप्पा ने एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) किसी मुसलमान को टिकट नहीं देगी। हिंदुओं में किसी भी जाति का हो, बीजेपी उसे टिकट दे देगी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की सरकार में मंत्री ईश्वरप्पा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हिंदुओं के किसी भी समुदाय को पार्टी का टिकट दे सकती है। शायद लिंगायत, कुरुबा, वोक्कालिगा या ब्राह्मण को, लेकिन निश्चित रूप से मुसलमानों को नहीं दिया जाएगा। उन्होंने ये बयान बेलगावी को लेकर दिया है।
ओवैसी का हमला-
दरअसल, कर्नाटक के बेलगावी लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने हैं। ऐसे में यहां उन्होंने कहा कि बेलगावी हिंदुत्व का केंद्र है और टिकट इसके समर्थकों में से किसी को दिया जाएगा। जिसके बाद उन्होंने मुसलमानों को टिकट न देने वाला बयान दिया। वहीं उनके इस बयान के बाद काफी आलोचना भी हो रही है। विपक्ष भी उन पर निशाना साध रहा है। इसी बीच एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ईश्वरप्पा की इस टिप्पणी को शर्मनाक बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि यह घृणित और शर्मनाक है लेकिन आश्चर्य की बात नहीं है। हिंदुत्व का मानना है कि केवल एक समुदाय के पास राजनीतिक शक्ति का अधिकार है और अन्य सभी अधीन हैं। यह विचारधारा हमारे संविधान के साथ सह-अस्तित्व में नहीं है, जो स्वतंत्रता, बंधुत्व, समानता और न्याय के बारे में बात करती है।