- नवदंपत्ति व एक बच्चे वाले माता-पिता अब डॉक्टरों से ले रहे परामर्श
केस- एक
राजाजीपुरम निवासी प्रदीप और अदिति की शादी डेढ़ साल पहले हुई थी। अब दोंनो ही अपने घर में नन्हा मेहमान चाहते है। लेकिन इस वक्त उन्हें कोविड-19 का भी डर है। दोनों निजी डॉक्टर के पास अपनी प्रग्नेंसी करने या न करने के बारे में जानकारी लेने के लिए पहुंचे। तो डॉक्टर ने उन्हें इस संक्रमण के दौर में कम से कम छह माह तक प्रग्नेंसी न करने की सलाह दी। |
केस- दो
आलमबाग निवासी दीक्षा और आशुतोष की शादी 2019 मे हुई थी। दोनों डॉक्टर के पास बस यही पता करने के लिए गए थे कि क्या वह अभी प्रग्नेंसी टाल दें तो फ्यूचर में कोई समस्या तो नहीं आएगी। क्योंकि कोरोना संक्रमण के चलते वह अभी प्रग्नेंसी नहीं चाहते हैं। हालांकि डॉक्टर ने भी उन्हें अभी प्रग्नेंसी से बचने की सलाह दी, साथ ही ऐतिहात बरतने की का सुझाव दिया। |
लखनऊ। वैश्विक महामारी के इस दौर में घर में किलकारियों के साथ नन्हे मेहमान को इस दुनिया में लाना उचित होगा या नहीं। क्या जच्चा-बच्चा को कोई समस्या तो नहीं होगी। खासतौर पर राजधानी लखनऊ में इस समय बच्चे की चाहत रखने वाले नवदंपत्तियों को कुछ इस तरह की बातें बेचैन कर रहीं हैं।
वह लगातार इन तमाम सवालों को लेकर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के पास पहुंच रहे हैं। इनमें नवविवाहित जोड़े के साथ पहले बच्चे के साथ दूसरी प्रग्नेंसी की चाहत रखने वाले भी शामिल हैं। हालांकि, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का भी यही मानना है कि कोविड-19 के दौरान प्रग्नेंसी ठीक नहीं है। इसलिए वह सभी दंपत्तियों को प्रग्नेंसी से बचने की ही सलाह दे रहे हैं।
छह महीने तक प्रग्नेंसी से बचें
दरअसल, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सीमा सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस एक जूनोटिक वायरस है। जोकि एक-दूसरे में संरचित होता है। यह वायरस सामान्य रोग मसलन सर्दी, जुकाम और गंभीर रोग जैसे सांस एवं आंत के रोगों का कारण बनते हैं।
बताया कि इस समय गर्भवती महिलाओं को रूटीन चेकअप के साथ अधिक ध्यान रखने की जरूरत है। अगर गर्भवती को कोविड-19 के लक्षण होते हैं। तो लंग्स के साथ उसे हार्ट की समस्या हो सकती है। इसका सीधा प्रभाव बच्चे पर भी पड़ता है। बताया कि खासतौर पर जब तक बच्चा मां के गर्भ में रहता है। उस वक्त तक यह संक्रमण इतना नहीं रहता है।
लेकिन डिलीवरी के बाद इस बीमारी के बढ़ने के चांस ज्यादा हो जाते हैं। यही वजह है कि डाॅक्टर्स भी अब मानते हैं कि कोरोना काल में बच्चे की चाहत रखने वाली महिलाओं को अब कम से कम छह महीने तक प्रग्नेंसी से दूर रहने की जरूरत है। इसके लिए अपने डॉक्टर्स से सलाह ले सकती हैं. क्योंकि कोरोना काल में जानकारी ही बचाव है।
रूटीन चेकअप से बच रहे डॉक्टर
बतातें चलें कि शुरुआती दौर में गर्भवती महिलाओं के रूटीन चेकअप की प्रकिया शुरू हो जाती है। ऐसे में नव दंपत्ति अथवा दूसरे बच्चे की चाहत रखने वाले रूटीन चेकअप से पहले अपने फैमिली डाक्टर अथवा महिला रोग विशेषज्ञ से इस विषय में सलाह लेना उचित समझ रहे हैं।
हालांकि कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए अब डाक्टर्स भी रूटीन चेकअप आदि के केस देखने में बच रहे हैं। वहीं डॉक्टर्स सिर्फ इमरजेंसी या फिर डिलीवरी केस को ही इमर्जेंसी में हैंडिल कर रहें है।कुछ जनपद में कई केस ऐसे समाने आए हैं। जिनमें गर्भवती महिला की जांच रिपोर्ट मे वह कोरोना पाॅजिटिव पाई गईं।
यूनिसेफ के दावों के उलट स्थिति
देशव्यापी लाॅकडाउन के शुरूआती दौर में यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रेंस फंड ( यूनिसेफ) ने दावा किया था कि कामकाजी लोगों के परिवार को ज्याद समय देने से आने वाले समय में बच्चों की जन्मदर में तेजी होगी। जिसका असर नम्बर और दिसम्बर में दिखाई देगा। जबकि स्थानीय स्तर पर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ की माने तो इस समय अधिकतर नवदंपत्ति और दूसरा बच्चा चाहने वाले इस बारे में राय लेने के लिए आ रहे हैं। कि क्या संक्रमण काल में बच्चे को जन्म देना ठीक होगा।
फैल रहा संक्रमण तो रखें ध्यान
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. खेमलता सिंह के मुताबिक, इस समय जो भी दंपत्ति प्रग्नेंसी के बारे में राय लेने आ रहे हैं उन्हें अभी तो कोरोना संक्रमण के चलते प्रग्नेंसी से कुछ समय बचने के लिए सलाह दी जा रही है। लोग खुद भी अवेयर हैं। हम तो इस वक्त इंफर्टिलिटी पेशेंट को देख ही नहीं रहे हैं। सिर्फ डिलीवरी केसेस ही ले रहे हैं।
वहीं स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. विधु श्रीवास्तव बताती है महिलाओं की नॉर्मल से कम इम्यूनिटी होने की वजह से बीमारी जल्दी आ रही है। देखा गया है उनके बच्चों में भी प्रॉब्लम आ रही है। तो मैं तो महिलाओं को यही सलाह देना चाहती हूं कि इस वक्त प्रग्नेंसी न करें तो बेहतर हैं। क्योंकि कोविड़-19 का संक्रमण कम नहीं बल्कि और ज्यादा फैल रहा है। इसीलिए बचाव जरूरी है।