नई दिल्ली। नवरात्र हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र त्योहार है। नौ दिन के इस पर्व में कई बातों को लेकर काफी मान्यताएं होती हैं। इन नौ दिन तक घरों में आदि शक्ति माता की आराधना की जाती है। इस नौ दिनों तक मातृ शक्ति की पूजा के लिए उपवास रखें जाते हैं। इस दौरान खान-पान और आचरण में शुद्धता लाने के लिए संयम रखने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इस दौरान पूरा माहौल भक्ति के रंग में रंगा होता है। आप इस पर्व में शुद्ध मन और आचरण से इसका आनंद लेते हैं।
नवरात्रि के अंतिम दिवस पर लोग कन्याओं को भोजन कराकर हवन कर लेते हैं। इसके बाद उनको लगता है कि अब वह इस पर्व की परम्परा से आजाद है और इसके बाद वह पहले की तरह की लाइफ स्टाइल जीना चाहते हैं। अगर ऐसा विचार आपके दिल और दिमाग में आ रहा हो तो आप जान लें कि नौ दिन तक खान-पान और रहन-सहन में लाए बदलाव का आपके शरीर पर गहरा असर पड़ता है। तुरंत ही इसमें बदलाव लाने से कई तरह की दिक्कतों का समाना करना पड़ जाता है।
जैसे नवरात्र के नौ दिन का हवन और पूजन करने के बाद लोग पारण करते हैं और ये सोचते हैं कि अब इस चक्र से फ्री हो गए है तो गरिष्ठ भोज्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। क्योंकि इस दौरान लीवर को हल्का भोजन और सुपाच्य पदार्थ ही मिलता है ऐसे में तुरंत गरिष्ठ भोजन से उसका हाजमा खराब हो जाता है। इसके साथ ही व्रत के बाद या व्रत के दौरान हमें शारीरिक संबंधों को बनाने से भी दूर रहना चाहिए क्योंकि पहले तो नौ दिन मातृ शक्ति का पूजन और आराधना होती है ऐसे में वासना से मन और चित दोनों ही खराब हो जाता है। दूसरा इस दौरान संबंध बनने से महिलाओं से कई तरह के हार्मोंस का निष्कर्षण होता है। जिससे उनको कई तरह की तकलीफें हो जाती है। इसलिए इस दौरान इन सभी से दूर रहना ही लाभकारी होता है।