6 सितंबर यानी कल अमावस्या है। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस अमावस्या में शुभ मुहूर्त और अमावस्या का क्या महत्व है इस खबर में जानते हैं।
कल है पिठोरी आमावस्या
कल यानी सोमवार को अमावस्या है। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस साल पिठोरी अमावस्या 6 सितंबर, सोमवार को पड़ रही है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पिठोरी अमावस्या मनाई जाती है।
जानिए पिठोरी अमावस्या का शुभ मुहूर्त
पिठोरी अमावस्या का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा। ये मुहूर्त 07 सितंबर को सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। पिठोरी अमावस्या के दिन आटे से मां दुर्गा सहित 64 देवियों की आटे से मूर्तियां बनाते हैं। महिलाएं इस दिन आटे से बनी देवियों की पूजा-अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं। इसलिए इसे पिठोरी अमावस्या कहते हैं।
पिठोरी अमावस्या का महत्व
पिठोरी अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं। पिठोरी अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुशोत्पाटिनी का अर्थ है कुशा का संग्रह करना। धार्मिक कार्यों में प्रयोग होने वाली कुशा का इस अमावस्या पर संग्रह किया जाता है। आमतौर पर अमावस्या का उखाड़ा गया कुश का प्रयोग एक महीने तक किया जा सकता है।
ऐसे करें पितरों को प्रसन्न
अमावस्या के दिन दान, तप और स्नान का विशेष महत्व है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। स्नान के बाद पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व
स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें। अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।