Govardhan Puja: हर वर्ष गोवर्धन पूजा दिवाली से दूसरे दिन मनाई जाती है, लेकिन इस बार गोवर्धन पूजा दिवाली से दूसरे नहीं बल्कि तीसरे दिन मनाई जाएगी।
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आपको बता दें कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी युक्त प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पर 24 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। वहीं, इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा हुआ करती थी, लेकिन इस बार कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा। इसके चलते दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा नहीं हो सकेगी। प्रभु को अन्नकूट का भोग नहीं लगेगा।
गोवर्धन पूजा की तिथि और मुहूर्त
- गोवर्धन पूजा की तिथि- 26 अक्टूबर, 2022
- प्रतिपदा तिथि आरंभ- 25 अक्टूबर, मंगलवार शाम 4 बजकर 18 मिनट से
- प्रतिपदा तिथि समाप्त- 26 अक्टूबर, बुधवार दोपहर 2 बजकर 42 मिनट पर
- गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 26 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 43 मिनट पर
1995 में बना था ऐसा संयोग
भारत में ऐसा संयोग 27 साल बाद बना है। इससे पहले 24 अक्टूबर 1995 को सूर्यग्रहण था। इसका असर भारत के कुछ हिस्सों में पड़ा था। 23 अक्टूबर को दीपावली की पूजा हुई थी, लेकिन सूर्यग्रहण के लिए 25 अक्टूबर को अन्नकूट महोत्सव न बनाकर 26 अक्टूबर को मनाया गया था।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा का खास धार्मिक महत्व है। इस दिन पर्वत के रूप में प्रकृति की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन गौमाता की पूजा भी की जाती है। इस वजह से यह पर्व प्रकृति की पूजा के साथ-साथ गौमाता के महत्व को भी दर्शाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो कोई इस दिन विधि-विधान से गोवर्धन पूजा करता है, उसे भगवान श्रीकृष्ण से धन, संतान, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गोवर्धन पूजा विधि
- गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें।
- शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं।
- साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
- इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें।
- भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें।
- इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।