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करवा चौथ 2021 : सुहागन औरत कर रही है आज करवा चौथ का व्रत, जानें इस व्रत का क्या है महत्व

करवा चौथ

करवा चौथ ।। आज यानी रविवार को पूरे देश में करवा चौथ का व्रत मनाया जा रहा है। ये दिन सुहागिन स्त्रियों को लिए काफी अहम होता है। इस दिन महिलाएं उपवास करते हुए अपनी पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। करवा चौथ ‘शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘करवा’ यानी ‘मिट्टी का बरतन’ और ‘चौथ’ यानि ‘चतुर्थी’। इस बार करवा चौथ पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं। आइये जानते हैं इसबार का करवाचौथ कैसे और भी ज्यादा खास बनाएं। इस त्योहार पर मिट्टी के बरतन यानी करवे का विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है करवा चौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शांति, समृद्धि और संतान सुख मिलता है।

इसबार का करवा चौथ का व्रत बेहद खास रहने वाला है क्योंकि 70 साल बाद करवा चौथ पर शुभ संयोग बन रहा है। इसबार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगलवार का योग होना करवा चौथ को अधिक मंगलकारी बना रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय ओर सत्याभामा योग भी बन रहा है। पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत अच्छा है।

चंद्रमा की 27 पत्नियों में से उन्हें रोहिणी सबसे ज्यादा प्रिय है। यही वजह है कि यह संयोग करवा चौथ को और खास बना रहा है। इसका सबसे ज्यादा लाभ उन महिलाओं को मिलेगा ​जो पहली बार करवा चौथ का व्रत रखेंगी। करवाचौथ की पूजा के दौरान महिलाएं पूरा दिन निर्जला व्रत करके रात को छलनी से चंद्रमा को देखने के बाद पति का चेहरा देखकर उनके हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत पूरा करती हैं।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त 17.50.03 से 18.58.47 तक है। अवधि एक घंटा 8 मिनट। चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर की भोर 5.21 बजे लग रही है जो 25 अक्टूबर की भोर 5.29 बजे तक रहेगी। इस व्रत में चंद्र को अ‌र्घ्य देने का विधान है। चंद्रोदय शाम 8.15.59 बजे हो रहा है, इसी समय चंद्र को अ‌र्घ्य दान किया जाएगा।

सनातन धर्म में कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी की मान्यता करवा चौथ के रूप में है। धर्म शास्त्रीय विधान के तहत अखंड सौभाग्य कामना से किए जाने वाले व्रत पर्व का सुहागिनों के लिए विशेष महत्व है। इसे कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि में रखा जाता है। 

व्रत का विधि विधान

करवा चौथ व्रत में शिव-शिवा, कार्तिकेय व चंद्रमा का पूजन, कथा वाचन-श्रवण व अ‌र्घ्य दान का विधान है। नैवेद्य में घी में सेकाहुआ खाड़ मिलाकर आटे का लड्डू अर्पित करना चाहिए। प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर तिथि-वार व नक्षत्र का उच्चारण कर हाथ में जल-अक्षत व पुष्प लेकर सुख-सौभाग्य, पुत्र-पौत्र व स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। शिव-गौरी और कार्तिकेय की मूर्ति स्थापित कर पूजन, चंद्र को अ‌र्घ्य दान कर बड़ों से आशीर्वाद लेकर भोजन ग्रहण करना चाहिए।

करवा चौथ व्रत का उल्लेख वामन पुराण में है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी महाभारत से पहले करवा चौथ व्रत का बखान किया था। मान्यता है उनकी सलाह पर द्रौपदी ने व्रत रखा और पांडवों को विजय मिली।

जानिए, आखिर क्यों करवा चौथ पर छलनी से देखा जाता है पति का चेहरा

करवा चौथ की पूजा में छलनी का काफी बड़ा महत्व माना जाता है। महिलाएं पूजा की थाली सजाते समय बाकी चीजों के साथ छलनी को भी थाली में जरूर जगह देती हैं। महिलाएं इसी छलनी से पति का मुंह देखकर अपना करवा चौथ का व्रत पूरा करती हैं। पूजा के दौरान महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद को देखने के बाद अपने पति का चेहरा देखती हैं। जिसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर शादीशुदा महिलाएं अपना व्रत पूरा करती हैं।

निर्जला व्रत करके रात को छलनी से चंद्रमा को देखने के बाद पति का चेहरा देखकर उनके हाथों से जल ग्रहण कर अपना व्रत पूरा करती हैं। इस व्रत में चन्द्रमा को छलनी में से देखने का विधान इस बात की ओर इंगित करता है,पति-पत्नी एक दसरे के दोष को छानकार सिर्फ गुणों को देखें जिससे उनका दाम्पत्य रिश्ता प्यार और विश्वास की मजबूत डोर के साथ हमेशा बंधा रहे।

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है और चंद्रमा को लंबी उम्र का वरदान प्राप्त है। साथ ही चांद में सुंदरता, प्रसिद्धि, शीतलता, प्रेम और लंबी उम्र जैसे गुण भी हैं। यही वजह है कि शादीशुदा महिलाएं चांद को देखकर उनके इन सब गुणों की कामना अपने पति के लिए भी उनसे करती हैं।

जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य होने का असर त्योहारों पर भी दिखने लगा है। करवा चौथ की पूर्व संध्या पर महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। बाजार में खूब चहल-पहल रही। मनियारी और मेहंदी लगाने के साथ ब्यूटी पार्लर और बुटीक देर रात तक खुले रहे।ऊधमपुर में सुबह से ही बाजार में खरीदारी करने वाली महिलाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। शहर के बस स्टैंड, आटे वाली गली, मुखर्जी बाजार, लंबी गली, मेन बाजार सहित मनियारी की दुकानों वाले बाजारों में इतनी ज्यादा भीड़ थी कि लोगों को एक से दूसरी जगह पहुंचने के लिए काफी समय लगा।

भीड़ के चलते लंबी गली और मुखर्जी बाजार में दो पहिया वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। मुखर्जी बाजार में जहां चूडि़यों व श्रृंगार सामग्री की खरीदारी करने वाली महिलाओं की भीड़ थी, वहीं, लंबी गली में मेहंदी लगाने वाली महिलाओं की खासी भीड़ रही। महिलाओं ने फेनी और कतलमों की भी खूब खरीदारी की। भीड़ के चलते बाजार में सुरक्षाबलों की बड़ी संख्या में तैनाती की गई थी। इसमें पुलिस के साथ महिला पुलिस और खुफिया पुलिस के साथ अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात थे।

 

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