धर्म

अनंत चतुर्दशी 2021 : जानें आखिर क्यों अनंत चतुर्दशी तिथि के दिन होता है गणेश विसर्जन

ganesh immersion 2019 12 09 2019 अनंत चतुर्दशी 2021 : जानें आखिर क्यों अनंत चतुर्दशी तिथि के दिन होता है गणेश विसर्जन

वैदिक पंचांग के अनुसार कल 19 सितंबर 2021 भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि जिसे अनंत चतुर्दशी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा आराधना की जाती है साथ ही गणेश उत्सव का समापन तो जाता है। इस दिन 11 दिन पूर्व स्थापित गणेश महाराज की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। हिंदू एवं वैदिक धर्म अनंत चतुर्दशी का बेहद महत्व इस वर्ष अनंत चतुर्दशी रविवार के दिन 19 सितंबर को पड़ रही है। अनंत चतुर्दशी तिथि के स्वमी भगवान विष्णु है। इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु का व्रत करने से आपकी सभी बाधाएं दूर  हो जाएगी साथ ही भगवान विष्णु की हमेशा कृपा बनी रहेगी।

पूजन का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस साल अनंत चतुर्दशी का पर्व 19 सितंबर दिन रविवार को पड़ रहा है भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती 19 सितंबर को सोहा 6:07 पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी जो अगले दिन 20 सितंबर की सुबह 5:28 तक रहेगी। इस के बाद पूर्णिमा की तिथि लगा जाएगी।

अभिजीत मुहूर्त – 11:56 सुबह – 12:44 शाम

अमृत काल – 08:14 शाम – 09:50 शाम

ब्रह्म मुहूर्त – 04:42 सुबह – 05:30 सुबह

आखिर क्यों अनंत चतुर्दशी के दिन होता है गणेश विसर्जन

गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित गणेश प्रतिमा अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जित की जाती है।  अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार वेदव्यास जी ने महाभारत लिखने के लिए गणेश जी को तथा सुनानी शुरू की थी उस दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। वेदव्यास जी ने गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाते वक्त अपनी आंखें बंद कर दें और भगवान गणेश लगातार 10 दिन तक कथा को सुनते और लिखते रहें। और जब कथा समाप्त हो गई और वेदव्यास जी ने अपनी आंखें खोली तो उन्होंने भगवान गणेश जी को लगातार लिखते देखा और गणेश जी के शरीर का तापमान काफी अधिक था। ऐसे में वेदव्यास जी ने भगवान गणेश को ठंडक पहुंचाने के लिए उन्हें लेकर पानी में डुबकी लगाई। जहां पर वेदव्यास जी द्वारा बताई गई महाभारत कथा गणपति ने लिखी वहाँ स्थान अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम और और जिस दिन वेदव्यास जी ने भगवान गणेश को लेकर पानी में डुबकी लगाई उस दिन अनंत चतुर्दशी तिथि थी। यही कारण है कि चतुर्थी को स्थापित गणेश प्रतिमा का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है।

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