Delhi MCD Merge || राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अब केवल एक ही नगर निगम होगी। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक के पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ तीनों नगर निगमों को एक करने वाला विधायक अब कानून बन चुका है। जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद ने लोकसभा और राज्यसभा में पारित विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ दिल्ली में नगर निगम चुनाव को लेकर रास्ता साफ होता दिखाई दे रहा है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद विधेयक को कानूनी रूप में परिवर्तित किया जाएगा। दिल्ली के तीनों नगर निगमों के एकीकरण करने के लिए डिलिमिटेशन की प्रक्रिया की जाएगी इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद दिल्ली में निगम चुनाव होंगे।
दिल्ली नगर निगम एकीकरण बिल लागू होने से क्या आएंगे बदलाव?
दिल्ली नगर निगम एकीकरण बिल के तहत दिल्ली के तीनों नगर निगमों दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC), उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (EDMC) को एक कर दिया जाएगा। बता दें वर्तमान में दिल्ली के तीनों नगर निगम में कुल 272 वार्ड हैं। जिनमें से 104-104 वार्ड उत्तरी और दक्षिणी नगर निगम में हैं। जबकि 64 वार्ड पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आते हैं। ऐसे में तीनों नगर निगमों की एक हो जाने से दिल्ली नगर निगम में 272 वार्ड होने की संभावना है।
वहीं मेयर की बात करें तो इन तीनों नगर निगमों के अलग-अलग मेयर है। लिहाजा दिल्ली में इस वक्त 3 मेयर होते हैं। ऐसे में दिल्ली नगर निगम एकीकरण बिल लागू होने के बाद दिल्ली में केवल एक मेयर होगा। जिसकी पावर सीएम की पावर के बराबर होगी।
भाजपा को क्या होगा फायदा
दिल्ली एमसीडी पर भाजपा का शासन है लेकिन एमसीडी का आरोप है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार निगम को फंड नहीं देती ऐसे में अगर दिल्ली की तीनों नगर निगम एक हो जाती है तो एक ईमेल होगा और उस मेयर की ताकत दिल्ली के मुख्यमंत्री के बराबर होगी। ऐसे में कहा जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा में भाजपा काफी पीछे है जिसकी वजह से एमसीडी के जरिए भाजपा केजरीवाल सरकार को कमजोर करना चाहते हैं।
यदि इस बार भी दिल्ली एमसीडी में भाजपा की जीत होती है तो वह दिल्ली की केजरीवाल सरकार को कमजोर करने की रणनीति के तहत तीनों नगर निगम का एकीकरण करना चाहती है।